बहुउत्पाद मूल्य निर्धारण - filles Upload

बहुउत्पाद मूल्य निर्धारण

ज्यादातर विश्लेषण सरलीकृत मान्यताओं का

  • प्रयोग करता है। उदाहरण के लिए हम जानते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था में
    बहुत कम उत्पाद पूर्ण प्रतियोगिता की दशाओं के अंतर उत्पादित किए।
    जाते हैं। फिर भी हमारे टेक्स्ट का तथा अन्य सभी अर्थशास्त्र टेक्स्टी का
    बड़ा हिस्सा इसके वर्णन पर लगाया जाता है। इस व्यवहार के लिए काफी
    कारण हैं। प्रथम, प्रतियोगिता आर्थिक मॉडलों में सबसे सरल है अत: ज्यादा प्रणालियों के विचार विमर्श के लिए अच्छा प्रारंभिक पूर्ण जटिल बिन्दु है। दूसरा कई बाजार हालांकि पूर्णतः प्रतियोगी नहीं होते (जैसे फर्मे अधोगामी स्लोपिंग माँग वक्रों का सामना करती हैं) फिर भी इस तरह
    विश्लेषित किए जा सकते हैं क्योंकि उनका व्यवहार पूर्ण प्रतियोगिता
    पर्याप्त नजदीकी से समानता रखता है। इस विश्लेषण पर आधारित कोई
    भविष्यवाणियाँ ज्यादा जटिल मॉडलों की जरूरत को पूरा करने में पर्याप्त
    सत्य होंगी।

आर्थिक सिद्धान्त में प्राय: किया अन्य सरलीकरण यह मानना कि एक फर्म या एक संयंत्र एक अकेले उत्पाद को उत्पादित करता है।

एक फर्म द्वारा उत्पादित विभिन्न उत्पाद एक दूसरे से स्वतंत्र हो
सकते हैं। इसका अर्थ है कि एक की न तो माँग न लागत अन्य उत्पाद
की माँग या लागत से प्रभावित होते हैं। ऐसी स्थिति में हर उत्पाद
सामान्यतः ऐसे स्तर पर उत्पादित होगा जहाँ इसका सीमांत आगम इसकी
सीमांत लागत के बराबर होगा। तब विश्लेषण इस तरह किया जा सकता है जैसे सिर्फ एक वस्तु उत्पादित की जा रही थी।

ज्यादातर स्थितियों में हालांकि एक फर्म द्वारा उत्पादित उत्पादों
के बीच में कुछ संबंध होता है। संबंध या तो माँग पक्ष की तरफ या
लागत पक्ष की तरफ या दोनों तरफ उपस्थित हो सकते हैं। हम चार भिन्न
अंतर्सम्बन्धों की पहचान (कम से कम) कर सकते हैं-

1.उत्पाद माँग के संदर्भों में पूरक होते हैं। एक कंपनी पर्सनल
कम्प्यूटर्स तथा सॉफ्टवेयर दोनों उत्पादित कर सकती है या एक
फास्ट फूड रेस्टोरेन्ट हम्बर्गर तथा शीतल पेय दोनों बेच सकता

2.उत्पाद माँग के संदर्भों में प्रतिस्थापक होते हैं- एक कंपनी पर्सनल कम्प्यूटर के विभिन्न मॉडल्स उत्पादित कर सकती है या एक शीतल पेय कंपनी कोला तथा नीबू- चूना सोडा दोनों बॉटल कर सकती है।

3.उत्पादों को उत्पादन में जोड़ा जाता है। संयुक्त उत्पादों की extreme स्थिति उपस्थित होती है जब दो उत्पाद स्थिर (या
लगभग स्थिर) अनुपातों में उत्पादित किए जाते हैं जैसे पशु उत्पादन जिसमें प्रति steer खाल तथा माँस शामिल होता है।

4.उत्पाद संसाधनों के लिए प्रतियोगिता करते हैं। यदि विभिन्न उत्पाद जो उपलब्ध संसाधनों के लिए प्रतियोगिता करते हैं को निर्मित कर रही एक कंपनी एक उत्पाद ज्यादा उत्पादित करती है, तब इसे ऐसा अन्य उत्पादों को कम उत्पादित करने की
लागत पर करना होगा। समान कम्प्यूटर के विभिन्न मॉडलों का उत्पादन एक उदाहरण है।
अब हम हर स्थिति का वर्णन करेंगे-

माँग में पूरक उत्पाद

जब दो उत्पाद पूरक होते हैं, तब एक की बिक्रीत मात्रा में वृद्धि
अन्य की बिक्रीत मात्रा में वृद्धि लाएगी। यह उत्पाद A की माँग में वृद्धि
के कारण या उत्पाद A की मूल्य में कमी के कारण हो सकता है (माँग की
गई मात्रा में वृद्धि लाना) उत्पाद इतना नजदीकी संबंधित हो सकते हैं कि
वे स्थाई अनुपातों में खरीदे जाते हैं। एक उदाहरण चौके की छुरियाँ हैं,
जिनमें से हर एक लकड़ी के हैंडल व एक धातु के ब्लेड की बनी होनी
चाहिए। अन्य पूरक उत्पाद एक पर्सनल कम्प्यूटर तथा एक की बोर्ड है
तथा अन्य उदाहरण एक वाहन की बॉडी तथा चार पहियों का एक समूह
है। अनुपात में कुछ कम स्थिर पर फिर भी नजदीकी संबंधित उत्पाद रेंजर्स
तथा रेजर ब्लेड्स टेनिस रेकेट्स तथा टेनिस बालें तथा कम्प्यूटर्स एवं
सॉफ्टवेयर हैं। ज्यादा दूरस्थ संबंधित उत्पाद भी हैं जहाँ एक के लिए माँग
अन्य के लिए माँग पर एक लाभकारी प्रभाव डाल सकती है। उदाहरण के
लिए एक विशिष्ट कंपनी द्वारा प्रकाशित अर्थशास्त्र में एक प्रसिद्ध टेक्स्ट
बुक समान प्रकाशक द्वारा एक वित्त टेक्स्टबुक के विक्रय को बढ़ा सकती

महत्त्वपूर्ण बिन्दु यह है कि उदाहरण के लिए एक उत्पाद की माँग
न सिर्फ इसके मूल्य द्वारा, आय द्वारा या स्वादों द्वारा प्रभावित होती है।
परन्तु संबंधित वस्तुओं के मूल्यों द्वारा भी बहुत ज्यादा प्रभावित होती है।
यहाँ हम एक फर्म के आगमों पर पूरक वस्तुओं के प्रभावों पर ध्यान
केन्द्रित करेंगे। अतः यदि उत्पाद A तथा B पूरक हैं, तब A से आगम में
परिवर्तन B से आगम में परिवर्तन कारित करेगा। दोनों स्थितियों में लाभ
अधिकतमीकरण परिचित बिन्दु पर होगा जहाँ हर उत्पाद का सीमांत आगम इसकी सीमांत लागतों के बराबर होगा। क्योंकि हर माँग समीकरण में दोनों उत्पादों के मूल्य शामिल होंगे अतः मूल्य निर्धारण समस्या कुगपत समीकरणों के हल की जरूरत होगी।

यदि प्रबंधकों के पास हर उत्पाद के लिए अच्छे, साफ माँग तथा लागत फलन उपलब्ध हों तो वे अपेक्षाकृत सरल गणितीय फार्मूलों का प्रयोग करके मिश्रित लाभ अधिकतमीकरण स्थितियों को निकाल सकते
थे। हालांकि क्योंकि वास्तविक जीवन में निर्णयकर्त्ता के पास सबसे ज्यादा संभावित तौर पर पर्याप्त डाटा नहीं होगा, अतः अधिकतमीकरण प्रक्रिया जाँच तथा त्रुटि रास्ते पर चलेगी, जहाँ उत्पादों के लिए मार्कअप्स (अर्थात् मूल्य समायोजित किए जाएंगे जब तक कि आदर्शतम मिश्रण प्राप्त नहीं होता। वास्तव में वास्तविकता में प्रक्रिया और भी ज्यादा जटिल होगी क्योंकि यह न सिर्फ फर्म के उत्पादों के बीच में पूरक संबंध है जिसका फर्म के आगम (तथा लाभ) पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव होता है प्रतियोगियों के उत्पाद जो हमारी फर्म के उत्पादों के लिए प्रतिस्थापन्न हैं
पर भी मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया में
विचार किया जाना चाहिए।

अन्य स्थिति है जिसमें एक कंपनी को इन अंतर्निर्भरताओं विचार करना चाहिए। यह जरूरी नहीं है कि एक फर्म दो संबंधित उत्पादन को एक साथ उत्पादित करे। यह सिर्फ एक उत्पाद उत्पादित कर सकती तथा यह तय करने की प्रक्रिया में हो सकती है कि क्या एक पूरक उत्पादन का उत्पादन करना है। ऐसे विस्तार की लाभदायकता की गणना कर समय कंपनी को पहले के उत्पाद की बिक्री में व प्राप्त लाभ को शामि करना चाहिए। यदि यह इस सकारात्मक प्रभाव को छोड़ देगी, तब नए उत्पाद के लाभों को कम करना होगा। यह उत्पाद को जारी करने विरुद्ध तय कर सकती है जबकि वास्तव में कंपनी के कुल लाभ बढ़े यदि नया उत्पाद बाजार में लाया जाएगा। एक उदाहरण के रूप में मा कि टेलीविजन सेटों का एक सफल उत्पादक विचार कर रहा है कि DVD प्लेयर्स की एक नई लाइन जारी करनी है। DVD प्लेयर्स उत्पादित करने की संभावित लाभदायकता की गणना करते समउत्पादक को इसकी टेलीविजन लाइन से विस्तारित बिक्री तथा लाभ संभावना को शामिल करना चाहिए।

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