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ऐसा बाजार जहाँ एक प्रकार की मुद्रा के बदले में दूसरे प्रकार की मुद्रा का व्यापार होता है, विदेशी विनिमय बाजार कहलाता है। यह एक गैर स्थानीय बाजार है जो कि सूचना प्रणाली के तंत्र के रूप में उपस्थित है तथा किसी विशेष स्थान को विनिमय बाजार नहीं कहा जा सकता है।
विदेशी विनिमय संबंधी लेनदेन दो देशों के लोगों द्वारा वस्तु, सेवा अथवा संपत्ति लेनदेन सें अस्तित्व में आते हैं। मुद्रा व्यापार इन वस्तुओं, सेवाओं एवं संपत्तियों में व्यापार करने हेतु लोगों की इच्छा का परिणाम है। इस प्रकार से इन वस्तुओं, सेवाओं एवं संपत्तियों के प्रत्येक अंतर्राष्ट्रीय क्रय/
विक्रय के साथ ही विदेशी मुत्तों का भी क्रय / विक्रय होता है। विदेशी विनिमय बाजार में एक पक्ष किसी एक मुद्रा को प्रदान किए बिना किसी दूसरी मुद्रा की माँग कभी नहीं कर सकता है। टोयोटा का एक भारतीय खरीदार येन की माँग पूरी करने के लिये रुपये rupees की आपूर्ति करता
है जिससे की टोयोटा को खरीदा जाना है, इस प्रकार ये एक-दूसरे के लिए आपूर्तिकर्ता का कार्य करते हैं।
उद्देश्य एवं संगठन
विदेशी विनिमय बाजार अलग-अलग मुद्रा इकाइयों के एक दूसरे के बदले में होने वाले सभी लेनदेनों से मिलकर बना होता है। इसका मुख्य उद्देश्य एक देश की मुद्रा में व्यक्त की गई वस्तु के मूल्य को अन्य देश की मुद्रा के समान परिवर्तन हस्तांतरण द्वारा व्यापार को संभव बनाना है। यह
व्यक्तिगत विक्रेताओं एवं क्रेताओं के लिए मध्यस्थ का काम करता है।
विदेशी विनिमय बाजार अलग-अलग मुत्तों के बीच वित्तीय गतिविधियों को जोड़ने का कार्य करता है।
विदेशी विनिमय बाजार एक भौतिक स्थान नहीं है, अपितु यह विभिन्न बैंकों के सौदागरों, दलालों का एक तंत्र है जो कि विश्व के वित्तीय केन्द्रों में फैला हुआ है। मुद्रा संबंधी लेनदेन अंतबैंक अथवा थोक बाजारों द्वारा, जिसमें बैंक एक दूसरे के साथ व्यापार करते हैं, प्रसारित
होते हैं।
प्रतिदिन 24 घंटों में मुद्रा व्यापार पूरे विश्व में सूर्य के साथ
चलित होता रहता है। इस बाजार के 3 बड़े भाग निम्नलिखित हैं-
-आस्ट्रेलिया जिसमें सिडनी, टोकियो, हांगकांग, सिंगापुर तथा बहरैन सम्मिलित है।
-यूरोप जिसमें जूरिक, फ्रेंकफर्ट, पेरिस, ब्रूसेल्स, एम्सटर्डम तथालंदन सम्मिलित हैं।
-उत्तरी अमेरिका जिसमें न्यूयार्क, मांट्रियल, टोरंटो, शिकागो,
सान-फ्रांसिस्को तथा लॉस एंजिल्स सम्मिलित हैं।
मुद्रा व्यापार उस समय सबसे अधिक सक्रिय होता है जब
आस्ट्रेलियन केन्द्रों तथा यूरोपियन केन्द्रों तथा यूरोपियन तथा अमेरिकन केन्द्रो के व्यापापक घण्टे तक एक दूसरे को ढँक लेते है अर्थात एक दूसरे से जुड़ जाते है।