अल्पाधिकार के अन्तर्गत मूल्यों का निर्धारण कैसे होता है? यह
एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है तथा इसका उत्तर आसान नहीं है। मूल्य का निर्धारण इस बात पर आधारित होता है कि विरोधी फर्मों के बीच किसी तरह का कार्टेल है या वे स्वतंत्र हैं। यदि फर्मों के बीच पूर्ण collusion है तब हर चीज अर्थात् मूल्य तथा आउटपुट केन्द्रीय कार्टेल द्वारा निर्धारित होता है या अपूर्ण collusion की स्थिति में बाजार को किसी तय आधार पर share किया जाता है।
(अ) अल्पाधिकार में मूल्य नेतृत्व
कीमत नेतृत्व एक उद्योग में अल्पाधिकारात्मक फर्मों की अपूर्ण
कपटसंधि होती है जिसमें सब फर्मे एक बड़ी फर्म के दिखाए हुए मार्ग का अनुसरण करती हैं।
फर्मों में एक गुप्त समझौता होता है कि वे उद्योग के नेता ( अर्थात् बड़ी फर्म) द्वारा नियत की गई कीमत पर अपनी वस्तु बेचेंगी। कभी-कभी एक रस्सी मीटिंग में नेता फर्म के साथ एक निश्चित समझौता भी हो जाता है। अगर वस्तुएं समरूप हों, तो कोई समान कीमत नियत कर दी जाती है। विभेदीकृत वस्तुओं की स्थिति में भी समान कीमतें हो सकती हैं। कीमत में जो भी परिवर्तन करना हो, नेता फर्म समय-समय पर उसकी घोषणा करती है। अमेरिका में कीमत नेतृत्व उद्योगों के उदाहरण ये हैं-बिस्कुट, सीमेन्ट, सिगरेट, आटा, खाद, पेट्रोलियम, दूध, नकली रेशम, स्टील इत्यादि । इनका सम्बन्ध विशुद्ध एवं विभेदीकृत दोनों तरह के अल्पाधिकार से है। कीमत नेतृत्व विभिन्न तरह का होता है। लेकिन तीन सबसे सामान्य कीमत नेतृत्व मॉडल हैं, जिनकी यहाँ विवेचना की जा रही है।
- कम लागत कीमत नेतृत्व मॉडल
- कुम-लागत कीमत नेतृत्व मॉडल में एक अल्पाधिकारात्मक अन्य फर्मों की बजाय कम लागतें होने है, जिसका अन्य फर्मों को अनुसरण करना पड़ता है। इस प्रकार, कम-लागत फर्म कीमत नेता बन जाती है।
इसकी मान्यताएं : कम लागत फर्म मॉडल निम्न मान्यताओं पर आधारित है-
1.A और B दो फर्मे हैं।
2.उनकी लागतें भिन्न हैं। A कम लागत फर्म है तथा B उच्च-
लागत फर्म है।
3.उनके समरूप माँग तथा MR वक्र हैं। उनका माँग वक्र मार्किट माँग वक्र का 1/2 है।
4.क्रेताओं की संख्या बहुत बड़ी है।
5.मार्किट (उद्योग) माँग वक्र की दोनों फर्मों को जानकारी है।
मॉडल
ये मान्यताएं दी होने पर, दोनों फर्मे एक गुप्त समझौता करती हैं। जिसके अनुसार उच्च लागत B फर्म कीमत नेता फर्म A द्वारा निश्चित की गई कीमत का अनुसरण करेगी तथा मार्किट को समान रूप से बाँटेगी। दोनों फर्मों जिस कीमत का अनुसरण करेंगी, उसे चित्र में दिखाया गया है। D उद्योग का माँग वक्र है तथा d / MR उसके अनुरूप सीमांत आगम वक्र है जो दोनों फर्मों हेतु माँग वक्र है तथा mr उनका सीमान्त आगम वक्र है। कम-लागत फर्म A के लागत वक्र ACa तथा MCa हैं, एवं उच्च लागत फर्म B के ась और अगर दोनों फर्मों स्वतंत्र रूप से कार्य करें, तो उच्च-लागत फर्म B प्रति इकाई OP कीमत लेगी तथा OQb मात्रा बेचेगी, जो बिन्दु B द्वारा
निर्धारित होती है, जहाँ mr वक्र को उसका MC, वक्र काटता है। इसी तरह, कम-लागत फर्म A प्रति इकाई OP कीमत लेगी तथा OQa मात्रा बेचेगी, जो बिन्दु A द्वारा निर्धारित होती है, जहाँ mr वक्र को उसका क्योंकि दोनों फर्मों के बीच गुप्त समझौता है, वक्र काटता अत: उच्च-लागत फर्म B के पास कोई विकल्प नहीं सिवाय इसके कि वह कीमत-नेता फर्म A का अनुसरण करे। अतः वह ज्यादा मात्रा OQa
कम कीमत OP, पर बेचेगी, हालांकि वह अधिकतम लाभ नहीं कमाएगी ।
दूसरी तरफ, कीमत नेता फर्म A कीमत OP, पर OQ मात्रा को बेचकर बहुत ज्यादा लाभ कमाएगी। क्योंकि दोनों A तथा B फर्मे समान मात्रा OQn बेचती हैं, अतः कुल मार्किट माँग OQ दोनों के बीच समान रूप से बाँटी जाती है-OQ = 20Qa | अगर B फर्म कीमत OP पर टिकी रहती है। तो इसके विक्रय शून्य होंगे क्योंकि वस्तु के समरूप होने के कारण इसके सभी ग्राहक फर्म A के पास चले जाएंगे।
लागत AC से नीचे है। ऐसी स्थिति में, फर्म A एकाधिकारी फर्म बन जाएगी। लेकिन उसे कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। अतः इसके हित में होगा कि OP, कीमत ही निश्चित करे तथा फर्म B के साथ मार्किट बाँटे एवं उसे सहन करे ताकि अपने लाभ अधिकतम कर सके।
कीमत-नेता मॉडल असमान मार्किट बाँट के साथ : कीमत नेता मॉडल असमान मार्किट बाँट होने पर, दोनों फर्मों के माँग वक्र तथा लागत वक्र भिन्न होंगे। कम लागत फर्म का मांग वक्र उच्च-लागत फर्म की बजाय ज्यादा लोचदार होगा। उच्च-लागत फर्म ऊंची कीमत पर कम मात्रा बेचकर अपने लाभ को अधिकतम करेगी, जबकि कम लागत फर्म कम कीमत पर ज्यादा मात्रा बेचकर अपना लाभ अधिकतम करेगी। अगर वे समान कीमत समझौता करते हैं, तो उच्च-लागत फर्म के हित में होगा. कि कीमत नेता द्वारा निश्चित कम कीमत पर अधिक मात्रा बेचकर, वह अधिकत्तम लाभों से कुछ कम कमाए। ऐसा तभी संभव है जब नेता फर्म द्वारा निश्चित की गई कीमत उच्च-लागत फर्म की AC को पूरा करती है।
असमान मार्किट बाँट के साथ कीमत नेतृत्व मॉडल की चित्र में
व्याख्या की गई है जहाँ विश्लेषण को सरल बनाने हेतु मार्किट माँग वक्र नहीं दिखाया गया है। चित्र में कम लागत फर्म A का माँग वक्र D, है तथा उसका सीमांत आगम वक्र MR है। उच्च-लागत फर्म B के माँग एवं MR वक्र क्रमश: Dp तथा MRg हैं। कम-लागत फर्म A कीमत OP तथा वस्तु की मात्रा OQ निश्चित करती है जब इसके MR वक्र को इसका MCa वक्र A बिन्दु पर काटता है। इसी तरह उच्च लागत फर्म B की कीमत OP, तथा मात्रा OQ, निर्धारित होते हैं जब इसके MR को इसका MCh वन B बिन्दु पर काटता है। कीमत नेता फर्म A का अनुसरण करते हुए जब B फर्म कीमत OP स्वीकार करती है तो यह ज्यादा मात्रा OQbi बेचती है एवं अधिकतम से कम लाभ कमाती है। इस फर्म को इतनी मात्रा OP कीमत पर बेचने से उतने समय तक लाभ होगा, जब तक कि यह कीमत उसकी औसत लागत को पूरा करती है। अगर यह फर्म नेता फर्म का अनुसरण न करके OQ, मात्रा अपनी लाभ अधिकतमकरण कीमत OP, पर बेचने का ययत्न करती है, तो यह बंद करनी पड़ेगी, क्योंकि इसके ग्राहक कम-लागत फर्म की ओर चले जाएंगे, जो कम कीमत OP लेती है। परन्तु अगर नेता और अनुयायी फर्मों के मध्य मार्किट बॉट के बारे में कोई समझौता नहीं है, तो अनुयाया फर्म नेता फर्म की कीमत (OP) अपना सकती है तथा मार्किट में कीमत
कायम करने के लिए जितनी मात्रा चाहिए उससे कम (OQhi)
से कम) स्थिति में धकेल सकती है।
उत्पादन कर सकती है। इस तरह नेता को गैर लाभ-अधिकतमकरण