अग्रिम ठेका तथा भविष्य ठेका

अग्रिम ठेका- अग्रिम ठेका किसी विशेष मुद्रा की किसी पूर्वनिर्धारित दर पर भविष्य में, सुपुर्दगी का ठेका होता है। यह मूल्य वर्तमान में ही तय कर लिया जाता है। किसी मुद्रा की भविष्य में सुपुर्दगी हेतु अग्रिम ठेके में

निम्नलिखित जानकारी आवश्यक रूप से होनी चाहिए-

1.प्रधान पक्ष का नाम

2.प्रतिपक्ष का नाम

3.सुपुर्द की जाने वाली मुद्रा का नाम

4.सुपुर्द की जाने वाली मुद्रा की मात्रा

5.सुपुर्दगी की दिनांक

6.सुपुर्दगी का स्थान

7.तय किया गया मूल्य / दर

8.वह दिनांक जब ठेका बेचा गया है

9.मूल्य दिनांक तथा

10.बैंक खाते, कहाँ से प्रदान किए गए हैं तथा कहाँ सुपुर्दगी किए जाने हैं।

किसी अग्रिम ठेके का खरीदार तय की गई शर्तों के आधार पर सुपुर्दगी प्राप्त करने के लिए वचनबद्ध होता है तथा अग्रिम ठेके को बेचनेवाला तय की गई शर्तों के आधार पर सुपुर्दगी करने के लिए वचनबद्ध होता है। यहाँ अग्रिम ठेके तथा भविष्य ठेके में अंतर होता है।

यह अंतर कार्यविधि के आधार पर न होते हुए सौदे को तय करने वाले संस्थानों के निर्धारण के कारण होता है।

जब दो व्यक्ति भविष्य में सुपुर्दगी हेतु कोई सौदा करते हैं तो इसमें अग्रिम ठेके वाले गुण होते हैं। इस प्रकार के सौदे में दोनों पक्ष शर्तों को तय करने हेतु स्वतंत्र होते है अर्थात् अग्रिम ठेका ग्राहक की आवश्यकतानुसार निर्मित किया जा सकता है।

भविष्य ठैका- यह सुपुर्दगी के समय तथा मात्रा के आधार पर मानकीकृत ठेका होता है। एक ब्रिटिश पाउंड भविष्य BP से बना होता है। प्रत्येक वर्ष मार्च, जून, सितंबर तथा दिसंबर के तीसरे बुधवार को शिकागो मर्चेन्टाइल एक्सचेंज (CME) में परिपक्व हो जाता है। विभिन्न

मुत्तों के भविष्य के अलग-अलग मानकीकृत मात्राएं होती हैं जैसे कि जर्मन मार्क भविष्य में DM 125,000 होता है। अग्रिम ठेका दो व्यक्तियो के बीच होता है जबकि भविष्य ठेका ग्राहक तथा भविष्य विनिमय के

बीच ठेका होता है।

भविष्य बाजार अनुमान आधारित बाजार है। अधिक विस्तृत परिचर्चा व्युत्पत्तियों वाली इकाई में है।

मूल्य तिथियाँ तथा रोकड़ प्रवाह किसी भी संस्था में विदेशी रोकड़ के प्रवाह की पहचान करने के प्रवाह होने वाला एक आर गुण जो इस बात की पहचान करता है वह है

लिए उन तिथियों का निर्धारण करना आवश्यक होता है जिन पर रोकड़

कोष प्रबंधक यह सत्यापन चाहेगा कि प्रत्येक लेनदेन में दोनों पक्षों द्वारा रोकड़ प्रवाह के निम्नलिखित गुणों को भलीभाँति समझा गया है

वह स्थान जहाँ दूसरा पक्ष कोष अथवा उपकरण को रखा जाना चाहता है।

1.लेनदेन में प्रयोग किया जाने वाला मूल्य/ दर

मूल्य दिनांक।

2.यदि किसी दशा में कई प्रकार की मुत्तों में, कई रोकड़ प्रवाह हो।

3.जैसा कि बैंकों के साथ होता है, ब्याज की मूल्य तिथियों का भी निरीक्षण किया जाना आवश्यक है। 

4.कोष प्रबंधक के पास दो उपाय होते हैं जो

रोकड़ प्रवाह का सारांश मापते हैं। एक किसी तिथि मूल्य से संबंधित मूल रोकड़ प्रवाह है तथा दूसरा मूल विनिमय स्थिति है जो कि प्रबंधित की जा रही मूल्य तिथियों का योग होता है। किसी मुद्रा में मूल रोकड़ प्रवाह, किसी मूल्य तिथि के लिए दी गई तिथि पर उस मुद्रा की आवक तथा

जावक के आधार पर गणना की जाती है। मूल रोकड़ प्रवाह या तो मूल आवक है अथवा मूल जावक है। किसी 

विशिष्ट मुद्रा में मूल विनिमय स्थिति सभी रोकड़ प्रवाहों की आवक तथा जावक का सभी दी गई तिथियों का समुच्चय होती है, तब हमें उस मुद्रा में मूल आधिक्य अथवा

मूल अधिक्रयकी स्थिति प्राप्त होती है। यदि जावक आवक की तुलना में अधिक हो तब हमें मूल कमी अथवा मूल अधिविक्रय स्थिति प्राप्त होती है। यदि आवक एवं जावक दोनों ही बराबर होती है तब हमें square स्थिति प्राप्त होती है.

4.लेनदेन के दूसरे पक्ष का नाम

5.कोई विशेष मुद्रा अथवा मुद्रा बाजार उपकरण जो कि बेचा अथवा खरीदा गया है मात्रा जो संबंधित है।

वह स्थान जहाँ कोष अथवा उपकरण की आवश्यकता है।

मूल्य तिथियाँ रोकड़ प्रवाह के समय को व्यक्त करने की

जटिलताओं के कारण, हमें मूल्य तिथियों के बारे में चर्चा करनी चाहिए हम जानते हैं कि विदेशी विनिमय बाजार में दो प्रमुख समय-आयाम होते हैं-

तत्काल लेनदेन किसी मूल्य तिथि, लेनदेन संपन्न होने के दो

व्यापारिक दिनों के लिए होते हैं। अग्रिम लेनदेन भविष्य में किसी मूल्य तिथि के लिए होते हैं, जो कि सामान्यतः तत्काल मूल्य तिथि से लेनदेन के बाद से माहों की संख्या के आधार पर गणित किए जाते हैं।

‘तुरंत अभी’ के मूल्य तिथियाँ भी संभव है। किन्तु यह विशुद्ध तत्काल लेनदेन नहीं होगा तथा तत्काल लेनदेन से समानता होने के बाद भी तत्काल दर प्रभावी नहीं होगी। भारत में विशेष रूप से दो प्रकार के लेनदेन होते हैं जो कि तत्काल लेनदेन से समानता रखते हैं। यहाँ O/N (ओवर नाइट) तथा T/N (टुमारो नाइट), ये भी विशुद्ध तत्काल यथास्थान लेनदेन नहीं होते हैं। अगर हम आज की मूल्य तिथि के लिए सौदा रहे हैं। तो हमें तत्काल दर में दो दिनों के ब्याज को प्रतिबिंबित करने के लिए समायोजन करने होंगे (आज के दिन के लिए तथा तत्काल लेनदेन की मूल्य तिथि के लिए)

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