मूल्य विभेदीकरण

मूल्य विभेदीकरण

आपके मुहल्ले का फैमिली डॉक्टर अपने अमीर रोगी से ऊंची
जबकि ये दोनों ही रोगी उसी वायरल बुखार से ग्रस्त हों। क्यों?
फीस वसूलता है और किसी गरीब रोगी से कम फीस लिया करता है
विद्युत कंपनियों द्वारा औद्योगिक खपत की तुलना में ग्रामीण
-क्षेत्र की घरेलू खपत पर सस्ती दर पर वसूली की जाती है। क्यों?

उपरोक्त उदाहरण सीधे ही कीमत पृथक्करण के दृष्टान्त हैं। यह
कीमत पृथक्करण क्या है?

कीमत पृथक्करण

सामान्यतः किसी उत्पादक या विक्रेता द्वारा अपने उत्पाद की एक
कीमत निर्धारित की जाती है जिस पर उस उत्पाद का सभी उपभोक्ताओं को
विक्रय किया जाता है, किन्तु कुछ परिस्थितियाँ ऐसी भी होती हैं जिसमें उसी उत्पाद के लिए विभिन्न उपभोक्ताओं से पृथक-पृथक कीमतें वसूली जाती
हैं। वह अपने उत्पाद को उपभोक्ताओं में से कुछ से ऊंची कीमत वसूलता है।विनहेड
जबकि कुछ अन्यों से उसकी कम कीमत लिया करता है। इस स्थिति को
कीमत पृथक्करण कहा जाता है। इस कीमत पृथक्करण अभिव्यक्ति को
निम्नवत् रूप से परिभाषित किया गया है.

श्रीमती जोन राबिन्सन, “एक ही नियंत्रण के अंतर्गत तैयार
की गई उसी वस्तु को पृथक-पृथक कीमत पर विभिन्न क्रेताओं को
विक्रय करने के कार्यालाप को कीमत पृथक्करण कहा जाता है।”

प्रोफेसर जे. एस. बैन, “कीमत पृथक्करण का अभिप्राय विक्रेता
के केवल उस कार्यालाप से है जिसमें उसके द्वारा एक ही वस्तु के लिए।
विभिन्न क्रेताओं से भिन्न-भिन्न कीमतें वसूली जाती हैं।”

उपरोक्त परिभाषाओं के विश्लेषणात्मक अध्ययन के आधार पर
यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि कीमत पृथक्करण किसी विनिर्माता
या विक्रेता का वह कार्यालाप है जिसके अंतर्गत वह एक ही प्रकृति के
उत्पाद के लिए विभिन्न क्रेताओं से भिन्न-भिन्न कीमतें लिया करता है।
इस संबंध में इसे नोट किया जाना महत्वपूर्ण है कि केवल अपूर्ण
प्रतियोगिता के अंतर्गत ही कीमत पृथक्करण संभव हो सकता है।
परिपूर्ण प्रतियोगिता के अंतर्गत इसे नहीं अपनाया जा सकता।

अन्य उदाहरण

1.रेल्वे द्वारा माल के अन्य वर्गों की तुलना में उच्च मूल्य या सापेक्षिक तौर पर कम आयतन की वस्तुओं को अलग कर उन पर उच्चतर मालभाड़ा प्रभार लगाया जाता है।

  1. विदेशी बाजारों पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए कुछ अन्य देशों द्वारा कम कीमतों पर वहां अपने माल का अंबार लगा
    दिया करते हैं।

3.कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा अन्य छात्रों की अपेक्षा संध्याकालीन कक्षाओं में अध्ययनरत् छात्रों से ऊंची दर पर ट्यूशन फीस वसूली जाती है।

4.कुछे जर्नलों के लिए छात्र पाठकों से कम दर वसूली जाती है।

परिपूर्ण प्रतियोगिता के अंतर्गत कीमत पृथक्करण इसलिए प्रभावी
नहीं हो सकता, क्योंकि बाजार निर्धारित दर पर विक्रेता का कोई प्रभाव
नहीं हुआ करता। कीमत पृथक्करण में एकाधिकार के तत्व की अपेक्षा
हुआ करती है ताकि विक्रेता द्वारा अपने उत्पाद की कीमत को प्रभावित
किया जा सके। अन्य मुहल्लों की अपेक्षा सम्पन्न और समृद्ध बस्तियों में सब्जियों को ऊंची दर पर बेचा जाता है।

कीमत पृथक्करण के कारण
या उद्देश्य

कीमत पृथक्करण के महत्वपूर्ण कारण निम्नवत् हैं

1.विभिन्न क्रेताओं की भुगतान क्षमता के अनुरूप उनसे भिन्न-
भिन्न कीमतें वसूलना, अर्थात् धनी क्रेताओं से ऊंची कीमत
और गरीब क्रेताओं से कम कीमत।

2.विभिन्न क्रेताओं की भौगोलिक स्थितियों के आधार पर विभिन्न क्रेताओं से भिन्न-भिन्न कीमतें वसूलना, अर्थात् उत्पादन स्थल
से दूरस्थ स्थित उपभोक्ताओं से ऊंची दर पर कीमत लेना जबकि

3.उत्पादन स्थल से निकटस्थ स्थित क्रेताओं से कम दर पर कीमत
लेना।

4.उत्पाद या सेवा का विभिन्न प्रकारों से प्रयुक्त करने से प्राप्त उपयोगिता के आधार पर विभिन्न उपभोक्ताओं से पृथक-पृथक कीमतें लेना। उदाहरणस्वरूप, औद्योगिक उपभोक्ताओं से जाने वाली विद्युत दर भिन्न हुआ करती है जबकि घरेलू उपभोक्ताओं के लिए विद्युत दर नितांत पृथक हुआ करती है।

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