एकाधिकार का अर्थ

शब्द ‘मोनोपोली’ एक लेटिन शब्द है। मोनोपोली में दो शब्दों का संगम है, यथा

1.मोनो जिसका अर्थ एक है।

2.पोली जिसका अर्थ विक्रेता है।

अतएव मोनोपोली का अभिप्राय किसी वस्तु के लिये
संगठन के उस रूप से है। जिसमें उस वस्तु का केवल एक ही विक्रेता अन्य कोई स्थानापन्न शब्द या अभिव्यक्ति नहीं है। ऐसे विक्रेता को होता है। इस एकमात्र विक्रेता द्वारा विक्रय की जाने वाली वस्तु के लिये एकमात्र विक्रेता होने के नाते उस वस्तु के विक्रय पर पूर्ण नियंत्रण होता।
है। अब क्रेता उस वस्तु को उसी विक्रेता से क्रय करे जो कि वस्तु का करना होगा। इसमें विक्रेता द्वारा ही उपभोक्ताओं द्वारा चुकाई जाने यदि उस वस्तु का क्रय करना हो तो उसे ऐसा केवल उसी विक्रेता से ही निर्धारक कहा जा सकता है। वह अपने प्रतिद्वंद्वियों के कार्यालापों कीमत निर्धारित की जाती है। इस एकाधिकारवादी को इस तरह कीमत-
भयभीत नहीं हुआ करता है।

पी.सी. डूली के अनुसार, “एकाधिकारवादी का अभिप्राय बाजार वाली से के एकमात्र विक्रेता से है।” लेफटविक कहते हैं, “परिशुद्ध एकाधिकार वह बाजार स्थिति है। जिसमें कोई एक ही फर्म उस उत्पाद का विक्रय करती है जिसका कोई । अन्य अच्छा स्थानापन्न नहीं होता।”
हम कह सकते हैं कि एकाधिकार वह बाजार संगठन है जिसमें उत्पाद का केवल एक ही विक्रेता होता है। इस एकाधिकारी के उत्पाद का बाजार में कोई सन्निकट स्थानापन्न नहीं होता। यह भी कि उक्त उद्योग में प्रवेश के विरूद्ध सख्त प्रतिबंधक हुआ करते हैं। इसके परिणाम स्वरूप विक्रेता का वस्तु की पूर्ति के ऊपर पूर्ण नियंत्रण होता है। इस तरह वह कीमत निर्धारक है।

एकाधिकार की विशेषताएं

एकाधिकार की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

1.एकाधिकार के अन्तर्गत किसी विशिष्ट वस्तु का एक ही उत्पादक या विक्रेता होता है। एकाधिकार में उद्योग तथा फर्म में कोई अन्तर नहीं होता है। एकाधिकार में फर्म ही उद्योग होता है।

2.एकाधिकारी, व्यक्तिगत स्वामी के रूप में या साझेदारी के रूप में या संयुक्त पूँजी कंपनी रूप में या सहकारी विभाग के रूप में या सरकार के रूप में कोई भी हो सकता है।

3.एकाधिकारी का वस्तु एकाधिकारी की वस्तु पर पूर्ण नियन्त्रण होता है। अतः की लोच शून्य होती है।

4.एकाधिकारी द्वारा उत्पादित वस्तु की कोई निकट स्थानापन्न वस्तुएं बाजार में नहीं पायी जातीं। इसलिए सीमित एकाधिकार के अन्तर्गत एकाधिकारी द्वारा उत्पादित वस्तु की अन्य वस्तुओं से माँग की आड़ी लोच बहुत कम होती है।

5.एकाधिकार के अन्तर्गत उत्पादन के क्षेत्र में अन्य फर्मों के प्रवेश पर कठोर प्रतिबन्ध लगे रहते हैं।

6) एकाधिकारी वस्तु की कीमत को प्रभावित कर सकता है। वह कीमत-निर्धारक होता है, कीमत-स्वीकार करने वाला नहीं होता है

7.एकाधिकारी का माँग वक्र बायें से दायें की तरफ गिरता हुआ वक्र होता है। इसका कारण यह है कि एकाधिकारी वस्तु की कीमत में कमी करके ही अपनी बिक्री को बढ़ा सकता है तथा अपने लाभ को अधिकतम कर सकता है।

8.एकाधिकारी का सीमान्त आगम वक्र, औसत आगम वक्र से नीचे रहता है एवं यह औसत आगम वक्र की तुलना में तीव्रगति से नीचे गिरता है। इसका कारण यह
है कि एक अतिरिक्त इकाई को और बेचने हेतु एकाधिकारी को अपनी वस्तु की कीमत में कटौती करनी पड़ेगी।
मूल्य को प्रभावित करने की ताकत ही एकाधिकार का सार
है : हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि एकाधिकारी व्यक्ति वस्तु की मात्रा तथा मूल्य का निर्धारण एकदम अपनी इच्छा के अनुसार ही थोप सकता है। वह इन दो में से सिर्फ एक ही चीज कर सकता है-उपभोक्ताओं को बेची गई वस्तु की मात्रा को छोड़कर वह सिर्फ मूल्य तय कर सकता है या मूल्य निर्धारण उपभोक्ताओं की माँग के आधार पर छोड़कर वस्तु के उत्पादन की मात्रा निश्चित कर सकता है।

9.विशुद्ध एकाधिकार की स्थिति वास्तविक संसार में नहीं पाई जाती एकाधिकारी वस्तु की कीमत एवं उत्पादन की मात्रा दोनों को एक साथ निर्धारित नहीं कर सकता है।

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