विदेशी विनिमय दरें

विदेशी विनिमय दरें इस बात का निर्णय करती हैं कि किस दर पर एक मुद्रा दूसरी मुद्रा में परिवर्तित की जाएगी। विनिमय दर को किसी मुद्रा की उस मात्रा को कहा जाता है जो कि किसी दूसरी मुद्रा की 1 इकाई को खरीदने के लिए आवश्यक है अथवा एक मुद्रा की वह मात्रा जो कोई

व्यक्ति किसी अन्य मुद्रा की 1 इकाई बेचने पर प्राप्त करता है। दो विभिन्न मुत्तों के मध्य कई विनिमय दरें होती हैं। पहला यह कि, सौदागर द्वारा माँगा गया मूल्य तथा लगाई गई निविदा का मूल्य लेनदेन के आकार के साथ परिवर्तित होता रहता है। इसके अतिरिक्त, मांग जमाओं हस्तांतरणों पर लागू दरें बैंक रूक्को तथा यात्रा धनादेशों के विनिमय दर से भिन्न होता है। अंत में, तुरंत सुपुर्दगी की दरें भविष्य विनिमय से भिन्न होती है।

विदेशी विनिमय बाजार के माँग विदेशी विनिमय बाजार के दो भाग हैं-

a.स्थान तत्काल तथा

b.प्रगतिशील/भावी बाजार

तत्काल बाजार

तत्काल बाजार वह बाजार है जहाँ मुत्तों के तुरंत यथास्थान

सुपुर्दगी के लिए लेनदेन किए जाते हैं। यहाँ तुरंत सुपुर्दगी से तात्पर्य ठेके के बंद होने के 2 दिनों बाद सुपुर्दगी है। वह दर जिस पर एक मुद्रा दूसरी के लिए व्यापार की जाती है विनिमय दर कहलाती है। तुरंत सुपुर्दगी के लिए विनिमय दर को spot exchange rate कहा जाता है तथा इसे S (.) से प्रदर्शित किया जाता है। जहाँ S (.) दो मुत्तों के बीच का संबंध दर्शाता है। जैसे कि S (Rs. / S) = Rs. 36.10/$ डॉलर तथा रुपये के बीच के संबंध को दर्शाता है जिसके अनुसार एक डॉलर 36.10 रुपयों के बराबर है। एकल मुद्रा के स्थान पर यह मुत्तों का समूह जैसे कि SDR (Special Drawing Right) हो सकता है इस स्थिति में हम spot rate को S (Rs. / SDR) लिखते हैं। यहाँ सुपुर्दगी का तात्पर्य व्यापारिक दिनों के पश्चात् सुपुर्दगी (अथवा इससे कम लेटिन अमेरिकी देशों में)। वह बाजार जहाँ मुत्तों की तुरंत सुपुर्दगी के लिए लेनदेन किए जाते हैं, तत्काल बाजार कहलाता है। किसी खुले बाजार में तत्काली दर का निर्धारण किसी मुद्रा की माँग तथा आपूर्ति के संबंध से किया जाता है।

विदेशी विनिमय बाजारों में भाव भाव से तात्पर्य किसी मुद्रा की उस मात्रा से है जो कि किसी दूसरे प्रकार की मुद्रा की 1 इकाई क्रय करने के लिए आवश्यक होती है।. जब इसे मुद्रा के रूप में व्यक्त किया जाता है तब इसे आउट राइट कहा जाता है। जैसे कि S (Rs. /S) Rs. 35.980 रुपये एवं डॉलर के बीच का रेट है।

भाव सामान्यतः ‘क्रय’ एवं ‘विक्रय’ अथवा ‘निविदा’ एव

‘माँग’ दरों के रूप में किया जाता है। ‘क्रय’ भाव वह मूल्य है जिस पर विनिमय सौदागर एक मुद्रा क्रय करने के लिए राजी है, जिसके लिए भाव या गया है तथा ‘विक्रय भाव उस मूल्य को व्यक्त करता है जिस पर सौदागर एक मुद्रा विक्रय करने के लिए तैयार/राजी है। निविदा तथा माँग उपरोक्त दोनों शब्दों के विकल्प हैं। कभी-कभी माँग को भी प्रस्ताव’ मूल्य कहा जाता है। ‘निविदा’ तथा ‘माँग’ मूल्य का एक उदा. निम्न है।

मुद्रा चिन्ह खरीदी 35.10/$ रुपये विक्रय रुपये 36.35/5S रुपये (स्रोत: हांगकांग बैंक कोष, मुंबई, 17 जून 1997, भाव इकोनॉमिक टाइम्स अखबार से)

प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष निविदा/भाव- निविदाएं प्रत्यक्ष अथवा

अप्रत्यक्ष हो सकती हैं। प्रत्यक्ष भाव की दशा में विदेशी मुद्रा की एक इकाई की निविदा घरेलू मुद्रा में की जाती है। उदा. के लिए न्यूयार्क विदेश विनिमय बाजार में Deutche mark (DM) इस प्रकार से दर्शाया जाता है

Spot (bid) = $2.4000/DM,

Spot ( Ask ) = $2.4017/DM

अथवा नई दिल्ली में $ का भाव इस प्रकार दर्शाया जाता है।

Spot (bid) = Rs. 35.90/S

Spot (Ask ) Rs36.00/$

उपरोक्त निविदाएं प्रत्यक्ष निविदाएं हैं, क्योंकि पहले उदा. में

विदेशी मुद्रा (DM) की एक इकाई को घरेलू मुद्रा (S) के संदर्भ में तथा दूसरे उद्धरण में एक इकाई को घरेलू मुद्रा (Rs.) के रूप में व्यक्त किया गया है जाती हैं-परंतु, लंदन विदेशी विनिमय बाजार में निविदाएं इस प्रकार की

Spot (bid) = $3.0201/BP,

Spot (Ask) = $3.0180/BP

जहाँ BP ब्रिटिश पाउंड उपरोक्त निविदाएं अप्रत्यक्ष हैं क्योंकि इनमें घरेलू मुद्रा की इकाई को विदेशी मुद्रा के रूप में व्यक्त किया गया है। चूँकि BI इंग्लैण्ड में घरेलू मुद्रा है। यूरोपियन निविदाएं अप्रत्यक्ष निविदाएं होती हैं। कभी-कभार निविदा मुद्रा की एक इकाई के स्थान पर 100 इकाइयों के आधार पर की जाती है।

मुत्तों के निविदा तथा माँग मूल्यों के बीच संबंध निविदा तथा प्रस्ताव मूल्य के संबंध में एक बात का जानना बहुत जरूरी है वह यह कि बैंक किसी मुद्रा के लिए निविदा कब करता है? एक ही समय पर वह दूसरी मुद्रा का बदले में प्रस्ताव भी करता है, जैसे यदि रुपयों के लिए डॉलर खरीदता है, तो साथ ही साथ डॉलर के लिए रुपयों का प्रस्ताव भी देता है। अतः सभी निविदाओं के दो पहलू होते हैं। उदा के लिए, यदि एक बैंक डॉलर के लिए तुरंत निविदा दर S (Rs. / bid S) के रूप में करता है तो वह साथ साथ डॉलर के लिए रुपये का भी विक्रय करता है। विशेष रूप से S (Rs. / bid $) = Rs. 35.50/5 जो कि डॉलर का निविदा भाव है उसी के साथ यह रुपये के बदले डॉलर का माँग भाव भी रुपये के लिए इस माँग भाव का विपरीत डॉलर के निविदा भाव के बराबर होगा। दूसरे शब्दों में

sk Rs.) = 1S (Rs. / bids)

यह उपरोक्त उदाहरण से देखा जा सकता है कि डॉलर के लिए। निविदा मूल्य Rs. 35.50/8= रुपयों के लिए माँग मूल्य है (अप्रत्यक्ष रूप से) तथा प्रत्यक्ष भाव S S / ask Rs.) = $ (1/35.5) / Rs. = $0.0282/ Rs. अब हम इसे पलट दें तो पाएंगे कि यह उसी भाव पर आ जाएगा जहाँ से हमने शुरू किया था।

सामान्य रूप में हम लिख सकते हैं-

| I/S (y / bid x) जहाँ x तथा y दो देशों की मुद्राएं हैं।

उपरोक्त समीकरण प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष निविदाओं की ‘निविदा’ तथा ‘माँग’ दरों के बीच संबंध को परिभाषित करती है। प्रसार/सौदे का मूल्य माँग तथा निविदा के मध्य का अंतर प्रसार spread कहलाता है।

जब निविदा प्रत्यक्ष हो

प्रसार = माँग – निविदा

परंतु जब निविदा अप्रत्यक्ष हो तब प्रसार को निम्न प्रकार से दर्शाया जाता है।

प्रसार = निविदा माँग

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