प्रमण्डल के विक्रय को प्रभावित करने वाले तत्त्व

 किसी  कम्पनी के विक्रय को प्रभावित करने वाले निम्न तत्त्व हैं-

(1) वस्तु की कीमत-किसी कम्पनी द्वारा निर्मित वस्तु की बिक्री पर उसके कीमत का बहुत प्रभाव पड़ता है। वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी बिक्री कम हो जाती है तथा घटने पर बिक्री बढ़ जाती है।

(2) उपभोक्ता की आय एक उपभोक्ता द्वारा वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग उसकी आय पर निर्भर करता है। अगर उसकी आय बढ़ती है तो उसकी क्रय शक्ति बढ़ जायेगी एवं वह पहले से अधिक वस्तुओं की माँग करता है और वस्तु की बिक्री बढ़ जाती है। इसके विपरीत आय कम

होने पर बिक्री घट जायेगी।

(3) उपभोक्ता की पसन्द किसी वस्तु की बिक्री, उपभोक्ता की रुचि, फैशन, आदत, रीति रिवाजों पर निर्भर करती है। उपभोक्ता की पसन्द बढ़ने पर वस्तु की बिक्री बढ़ जाती है एवं पसन्द घटने पर बिक्री घट जाती है।

(4) जनसंख्या-जनसंख्या में वृद्धि होने पर वस्तु की माँग बढ़ जाती है अर्थात् उसकी बिक्री ज्यादा होने लगती है। जनसंख्या में कमी होने पर घटने लगती है।

(5) जलवायु तथा मौसम-किसी वस्तु के विक्रय पर जलवायु का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। गर्मी के दिनों में बिजली के पंखों, सूती कपड़े, बर्फ, कूलर, फ्रीज आदि की बिक्री बढ़ जाती है। बरसात में छाता, बरसाती बिक्री बढ़ती है तथा जाड़े में चाय, काफी, ऊनी कपड़े आदि की बिक्री बढ़ने लगती है।

(6) विज्ञापन खर्च-विज्ञापन पर व्यय बढ़ने से भी वस्तु की बिक्री बढ़ती है।

(7) सरकारी नीति सरकार द्वारा बनायी गयी विभिन्न नीतियाँ किसी कम्पनी द्वारा बनाई गई वस्तु की बिक्री को प्रभावित करती है। जैसे सरकार किसी वस्तु विशेष पर प्रतिबन्ध लगा दे तो उसकी बिक्री कम हो जाती है। यदि टैक्स लगा दे तो बिक्री कम हो सकती है।

(8) कम्पनी की आन्तरिक दशाएं-किसी कम्पनी की आन्तरिक दशाएं उस कम्पनी द्वारा बनाई गयी वस्तुओं की बिक्री को बहुत बड़ी सीमा तक प्रभावित करती हैं। आन्तरिक दशाओं में उस कम्पनी की मूल्य नीति, विज्ञापन व विक्रय संवर्द्धन नीति, वितरण नीति, संगठन संरचना

आदि आते हैं। अगर इनमें परिवर्तन होता है तो उसका प्रभाव भावी बिक्री पर पड़ता है। जैसे कम्पनी वितरण के लिए नयी-नयी शाखाएं खोल देती है तो बिक्री में वृद्धि हो सकती है तथा वितरण मार्ग को संकुचित कर देने

से विक्रय में कमी आ सकती है।

(9) उद्योग की दशाएं-किसी कम्पनी का प्रमण्डल की बिक्री उस उद्योग विशेष की बिक्री का एक भाग होती है। अतः अगर उस उद्योग विशेष में कोई परिवर्तन होता है तो उस प्रमण्डल या कम्पनी की बिक्री निश्चित रूप से प्रभावित होती है।

(10) आर्थिक एवं सामाजिक दशाएं- देश की आर्थिक तथा सामाजिक दशाएं भी किसी वस्तु की विक्रय को प्रभावित करती रहती हैं। इस प्रतिव्यक्ति आय, रहन-सहन का स्तर, शिक्षा, शहरीकरण, मुद्रा प्रसा मुद्रा संकुचन आदि बहुत सी बातें आती हैं।

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