सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) एक वर्ष में चालू उत्पादन से
अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह का बाजार मूल्य पर कुल माप है। जिसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय सम्मिलित होता है। GNP में चार प्रकार शामिल होती हैं-
(1) लोगों की तुरन्त करने के लिए उपभोक्ता वस्तुएं तथा सेवाएं,
(2) पूँजी पदार्थों में सकल निजी घरेलू निवेश जिसमें स्थिर पूँजी निर्माण आवास निर्माण तथा निर्मित और अर्द्धनिर्मित वस्तुओं की मालसूचियों,
(3) सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुएं तथा सेवाएं, एवं
(4) वस्तुओं तथा सेवाओं का शुद्ध निर्यात, अर्थात् वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात के मूल्य में अन्तर, जिसे विदेशों से शुद्ध आय कहा जाता है।
कुल राष्ट्रीय उत्पाद की इस धारणा में कुछ विशेष बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।
प्रथम, GNP में अप्रवासी उत्पादकों तथा वर्करों द्वारा प्राप्त आय एवं देश के भीतर विदेशों के अप्रवासियों द्वारा प्राप्त साधन आय शामिल होती है। इस तरह,
दूसरे, दोहरी गणना से बचने के लिए, अर्थव्यवस्था के सकल उत्पादन की गणना करते समय सिर्फ अन्तिम पदार्थों की बाजार कीमत ही लेनी चाहिए। बहुत से पदार्थ उपभोक्ताओं तक पहुँचते हुए कई स्टेजों से गुजरते हैं। अगर उनकी हर स्टेज पर गिनती कर ली जाये तो वे कई बार राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल हो जायेंगे, जिससे सकल राष्ट्रीय उत्पाद बहुत बढ़ जायेगा। इसलिए दोहरी गणना से बचने के लिए मध्यवर्ती पदार्थों को न लेकर सिर्फ अन्तिम पदार्थों को ही लेना चाहिए।
तीसरे, सकल राष्ट्रीय उत्पाद में मुफ्त वस्तुओं और सेवाओं को सम्मिलित नहीं किया जाता क्योंकि उनकी बाजार कीमत का ठीक अनुपात नहीं होता। जैसे माँ का बच्चे को पालना, प्राध्यापक का अपने पुत्र को पढ़ाना, संगीत शास्त्री का मित्रों को संगीत सुनाना, शिल्पी का अपने शौक हेतु मूर्ति निर्माण करना आदि।
चौथे, सकल राष्ट्रीय उत्पाद में ऐसे सौदे नहीं लिए जाते जो चालू वर्ष के उत्पादन से प्राप्त नहीं होते तथा जिनका उत्पादन में कोई योग नहीं होता। पुरानी वस्तुओं, पुरानी कम्पनियों के शेयर व ऋण पत्रों एवं परिसम्पत्तियों का क्रय-विक्रय सकल राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल नहीं किया
जाता क्योंकि इनसे राष्ट्रीय उत्पादन में कोई वृद्धि नहीं होती। सिर्फ वस्तुओं का हस्तांतरण ही होता है। इसी तरह सामाजिक सुरक्षा के अधीन प्राप्त होने वाला भुगतान जैसे बेरोज़गारी, बीमा भत्ता, बुढ़ापे में प्राप्त होने वाली पेंशन एवं सार्वजनिक ऋण पर ब्याज भी सकल राष्ट्रीय उत्पाद
में सम्मिलित नहीं किए जाते क्योंकि प्राप्तकर्ता उनके बदले में कोई सेवा प्रदान नहीं करते। लेकिन मशीनों, संयंत्रों एवं अन्य पूँजीगत पदार्थों में होने वाले मूल्यहास को सकल राष्ट्रीय उत्पाद से घटाया नहीं जाता।
पांचवें, पूँजी परिसम्पत्तियों में बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव से होने वाले परिवर्तनों के कारण जो लाभ तथा हानियाँ होती हैं, उन्हें सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाता, बशर्ते कि ये चालू उत्पादन या आर्थिक क्रिया के कारण न हों। उदाहरणार्थ अगर किसी मकान या भूमि का मूल्य स्फीति के कारण बढ़ जाता है तो उसे बेचने से
जो लाभ प्राप्त होता है, सकल राष्ट्रीय आय का भाग नहीं होगा। परन्तु अगर चालू वर्ष में मकान का एक भाग नया बनाया जाता है तो इससे मकान के मूल्य में जो वृद्धि (बनाये गये भाग की लागत को कम करके) होती है, वह सकल राष्ट्रीय उत्पाद का भाग होगी। इसी तरह जिन
परिसम्पत्तियों में होने वाले मूल्य परिवर्तनों का पहले से ही अनुमान लगाया जा सकता है तथा बाढ़ व आग के विरुद्ध बीमा हो जाता है, उन्हें भी सकल राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल नहीं किया जाता।
अन्तिम, सकल राष्ट्रीय उत्पाद में अवैध क्रियाओं से प्राप्त आय को सम्मिलित नहीं किया जाता। यद्यपि जिन वस्तुओं का काला बाजार होता है, उनकी कीमत भी होती है तथा वे लोगों की आवश्यकताएं पूरी करती हैं, लेकिन सामाजिक दृष्टिकोण से लाभदायक न होने से उनके क्रय- विक्रय से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय से बाहर ही रखा जाता है। लेकिन ऐसा करने के मुख्य दो कारण हैं। प्रथम, यह मालूम नहीं होता कि ये वस्तुएं चालू वर्ष में उत्पादित हुई या पिछले वर्षों में दूसरा, इनमें से बहुत सी वस्तुएं विदेशों में बनी होती हैं जो तस्करी में प्राप्त होती हैं। इनको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जा सकता।