विदेशी विनिमय बाजार प्रतिभागी

विदेशी विनिमय बाजार एक द्विस्तरीय बाजार है, थोक अथवा अंतबैंक बाजार तथा फुटकर अथवा ग्राहक बाजार। बाजारी प्रतिभागी 5 समूह में बँटे हुए हैं बैंक ग्राहक, अंतर्राष्ट्रीय बैंक, गैर बैंकीय डीलर, एक एक्स ब्रोकर तथा केन्द्रीय बैंक। बैंक ग्राहकों में वे आयातक आते हैं जो

विदेशी मुद्रा में मूल्यांकित वस्तुओं के लिए भुगतान करते हैं, आशावादी जिनके पास विदेशी मुद्रा का विक्रय हो, पोर्टफोलियो प्रबंधक जो विदेशी मुद्रा संपत्तियों को खरीदते अथवा बेचते हैं तथा लाभांश तथा ब्याज भुगतान प्राप्त करते हैं। बैंक ग्राहकों के लेनदेनों से लगभग 15 प्रतिशत FX व्यापार होता है।

अंतर्राष्ट्रीय बैंक अंतर्राष्ट्रीय बैंक ही मुख्य रूप से विदेशी

विनिमय बाजार के घटक है। वे अपने ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भिन्न-भिन्न मुत्तों में ऋण लेते हैं। उनके व्यापारी सतत अंतबैंक व्यापार के द्वारा विदेशी विनिमय बाजार को बढ़ाते हैं। बड़े मुद्रा केन्द्र अंतर्राष्ट्रीय बैंक बाजार निर्माता के रूप में भूमिका निभाते हैं। वे एक ही समय पर निविदा भाव का पता लगाते हैं तथा विभिन्न विदेशी मुत्तों को उसी भाव में खरीदने एवं बेचने के लिए तैयार रहते हैं। दोनों निविदा भावों के अंतर को निविदा-पूछ प्रसार bid-ask spread के रूप में जाना जाता है। वैश्विक रूप बड़े मुद्रा केन्द्र बैंक जो क्रय एवं विक्रय के लिए द्विमार्गी मूल्यों में लेनदेन करते हैं, बाजार निर्माता कहलाते हैं। व्यापारिक बैंकों के ग्राहक अपने बैंकों के द्वारा विदेशी विनिमय का क्रय एवं विक्रय करते हैं। छोटे बैंक तथा बड़े बैंकों की छोटी शाखाएं प्रत्यक्ष रूप से अंतबैंक बाजार में लेनदेन नहीं करते हैं। उनकी बड़े बैंक अथवा गृह कार्यालय से एक ऋण सीमा होती है।

बड़े व्यापारिक बैंकों के द्वारा किए गया क्रय तथा विक्रय की मात्रा यदा-कदा ही बराबर होती है जिससे कि उनके वर्तमान विदेशी मुद्रा कोष में काफी असमानता होती है तथा विनिमय जोखिम अधिक रहता है। जब वे जान-बूझकर इसका अनुमान लगाते हैं तब वे दर्शक की भाँति कार्य करते हैं। अंतबैंक लेन-देन अनुमान आधारित होते हैं अथवा विवाचन संबंधी होते हैं जहाँ बाजार प्रतिभागी एक मुद्रा के विरुद्ध दूसरी मुद्रा की भविष्य में गति का अनुमान लगाते हैं अथवा वे कंपनी डीलरों के बीच होने वाले मुद्रा के विनिमय संबंधी विवादों से लाभ उठाने की कोशिश करते हैं। परंतु अधिकतर बैंक अपने रहस्योद्घाटनों की संख्या कम से कम रखने का प्रयास करते हैं।

व्यापारी तथा निवेशक व्यापारी तथा निवेशकों के लेनदेन के परिणाम भिन्न-भिन्न मुत्तों में भुगतान करने तथा प्राप्त करने के लिए वचनबद्धता के रूप में तथा विदेशी विनिमय बाजार में मुद्रा के रूपांतरण हेतु नियमों के रूप में होते हैं। चूँकि बैंक अपने मुद्रा संबंधी रूपांतरण स्वयं करते हैं अतः वे लेनदेन में कम ही भाग लेते हैं।

सौदागर तथा दलाल- सौदागर अधिकतर मुद्रा केन्द्र बैंक होते हैं जो कम दर पर मुत्तों को खरीदते हैं तथा उसे अधिक दर पर बेचते हैं। bid-ask rate बहुत संकीर्ण होता है। डीलर्स के कार्य अधिकतर थोक / बड़े पैमाने पर होते हैं तथा अधिकतर लेनदेन अंतबैंक होते हैं हालांकि वे बहुद्देशीय तथा केन्द्रीय बैंकों से सौदे भी करते हैं। इससे छोटे-छोटे बैंकों में उनके विनिमय जोखिम प्रबंधन तथा कम लेनदेन मूल्य के साथ-साथ एक बड़ी प्रतियोगिता का माहौल बना जाता है। फुटकर स्तर के सौदागर विदेशी विनिमय को क्रय अथवा विक्रय करने के इच्छुक ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं तथा इनका विस्तार काफी बड़ा होता है (एक प्रतिशत से नीचे)। विदेशी विनिमय बाजार में थोक लेनदेन कुल लेनदेनों का 85 प्रतिशत भाग प्रदान करते हैं।

विदेशी विनिमय दलाल मूल आपूर्तिकर्ता तथा दो पक्षों से माँग बैंक के क्रय एवं विक्रय आदेशों का मिलान करने में दक्ष होते हैं। वे स्वयं किसी स्थिति को ग्रहण नहीं करते हैं। विदेशी विनिमय लेनदेनों का एक बड़ा भाग दलालों के द्वारा किया जाता है। जहाँ वे किसी विशेष मुद्रा में महारत हासिल करने का प्रयास करते हैं, दूसरी ओर वे सभी बड़ी मुत्तों को भी संभालते हैं। दलालों का अस्तित्व इसलिए है क्योंकि वे सौदागर की कीमतों को कम करते, उनके जोखिम को कम करते तथा रहस्यमयता (पहचान को जाहिर नहीं होने देना) प्रदान करते हैं। न्यूयार्क में स्थानीय बैंकों के मध्य अधिकतर विदेशी विनिमय लेनदेन तथा अन्य विदेशी लेनदेनों का एक बड़ा प्रतिशत दलालों द्वारा किया जाता है। दलाल, अंतबैंक व्यापार में किए जा रहे लेनदेन की रकम का 0.01% तथा तरल मुद्रा में महँगे कमीशन शुल्क के रूप में लेते हैं। कमीशन की रकम को भुगतान हेतु व्यापार कर रहे पक्षों के बीच बाँट दिया जाता है।

दलाल जानकारी इकट्ठा करके ग्राहक आधार को बढ़ाते हैं। वे कई सौदागरों के भाव को जानते हैं तथा किसी अन्य सौदागर के मुद्रा भाव की तुलना में तेजी से इसका विकीर्णन/विश्लेषण करते हैं। बैंक

दलालों की सहायता से प्रतिकूल स्थितियों को रोकती है। दलालों की सहायता से वे ग्राहकों की सूझबूझ पर निर्भर रहने के बजाय अपनी स्वयं की पसंद की स्थितियाँ ले सकते हैं जब वे बाजार निर्माता का कार्य करते हैं। अज्ञात दलाली प्रणाली से दलालों के व्यापार की मात्रा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है जो विदेशी विनिमय बाजार में 35 प्रतिशत सौदों के लिए जिम्मेदार होते हैं।

निवेश बैंक निवेश बैंक जो वित्तीय मध्यस्थ है, निवेश बैंकिंग

तथा मुद्रा बैंकिंग के पूरक स्वभाव के कारण यूनाइटेड के बाहर जमा बैंकिंग में लगे रहते हैं। वे मुत्तों के सौदे को अनुकूल समझते हैं जबकि यूरो बॉण्ड विषयों अथवा मुद्रा परिवर्तन आदि की मार्केटिंग भी करते हैं। 

निवेश बैंकों के आकार तथा व्यापारिक लेनदेनों की आवृत्ति, अपनी विदेशी विनिमय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तथा अंतर्बेक बाजार में प्रत्यक्ष व्यापार के लिए उनके स्वयं के डिलिंग कक्ष बनाने को मूल्य प्रभावकारी बनाती है। व्यापारिक बैंकों की तुलना में वे बाजार निर्माण तथा विदेशी विनिमय लेनदेनों में सीमित भूमिका निभाते हैं।

केन्द्रीय बैंक विनिमय दर में स्थिरता लाने तथा उसे एक नए

स्तर पर ले जाने के लिए केन्द्रीय बैंक विदेशी विनिमय बाजार में हस्तक्षेप करते हैं। यूएस डॉलर एक हस्तक्षेपित मुद्रा है। यदि मुद्रा विनिमय मूल्य वांछित स्तर से कम है तो वे उसे विदेशी विनिमय से क्रय कर लेते हैं।

यदि यह वांछित स्तर से अधिक है तब विदेशी मुद्रा का विक्रय कर देते। हैं। जहाँ मूल्य कम करना आसान है वहाँ इसे बढ़ाना विदेशी विनिमय की आपूर्ति क्षमता पर निर्भर करता है जो कि आरक्षित संपत्तियों या इन्हें उधार लेने की योग्यता / क्षमता पर निर्भर करता है। औद्योगिक देशों के केन्द्रीय बैंक दूसरे व्यापार साझेदार के लिए अपनी मुद्रा के मूल्य को प्रभावित करने के लिए प्रायः हस्तक्षेप करते हैं। इसका उपयोग किसी व्यापारी साझेदार के लिए एक मुद्रा की कीमत बढ़ाने के लिए किया जा सकता है जिससे कि उसके निर्यात में कमी तथा आयात में बढ़ोत्तरी द्वारा उसके लगातार घाटे को कम किया जा सके।

विवाचक –  वे मूल्यों में पाए जाने वाले अंतर का पता लगाते हैं। जो उन्हें सस्ता खरीदने और महँगा बेचने का अवसर प्रदान करता है। उनके कार्य जोखिम रहित होते हैं। वे मुद्रा विवाचन तथा ब्याज विवाचन लेनदेनों को करने में स्वयं निर्णय लेते हैं।

विवाच्य- मुद्रा विवाचन का जन्म ऐसे अवसरों के कारण होता है। जिससे कि विक्रय की तुलना में क्रय सस्ता होता है। किसी खुले बाजार में, मुद्रा विवाचन का कार्यक्षेत्र बहुत संक्षिप्त तथा सौदा करने वाली बैंकों तक ही सीमित होता है।

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