मंदी व्यापार चक्र की विशेषताएं

व्यापार चक्रों के एक अध्ययन ने निम्न दो महत्त्वपूर्ण विशेषताओं को प्रदर्शित किया है: 

(1) इसकी चक्रीय प्रकृति अर्थात् अवधिगतता,

(2) इसकी सामान्य प्रकृति या सिंक्रोनिज्म ।

पहली स्थिति में यह पाया गया है कि व्यापार चक्र काफी

नियमित अंतरालों पर अवधिगत रूप से प्रकट होते हैं। अंतराल एक नापा हुआ नहीं होता है लेकिन नियमितता की डिग्री एक व्यापार चक्र की अवधिगतता को प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त होती है। इस राय की सामान्य एकमतता है कि चक्र स्वयं को पूरा करने के लिए लगभग सात से दस वर्ष लेता है। किसी एकरूप अवधि की उम्मीद नहीं दी जा सकती लेकिन अपवर्ड तथा डाउनवर्ड स्विंगों के एक दूसरे के पीछे आना निश्चित है जैसे दिन रात के बाद आता है। व्यवसायियों ने ऐसी एक विलक्षण अंतर्दष्टि विकसित कर ली है कि वे जानते हैं कि कब या दूसरे की उम्मीद करनी है- आधुनिक समयों में व्यापारिक गतिविधि द्वारा प्रदर्शित अवधिगतता की डिग्री इतनी ऊंची है।

दूसरी विशेषता सिंक्रोनिज्म या इसकी सबको साथ लेकर चलने की प्रकृति है। व्यावसायिक जगत एक जीवित प्राणी की तरह एक आर्थिक इकाई है। एक व्यक्ति के पैर में एक पिन चुभाना सारे सिस्टम में शॉक भेजता है। ऐसा ही व्यापार में है। व्यावसायिक जीव के एक भाग पर आक्रमण के अन्य भागों को शॉक भेजना निश्चित है। यदि एक फर्म कष्ट में आती है, तब वे जो इसके साथ डील करते हैं, अप्रभावित नहीं रह सकते तथा वे उनकी बारे में दूसरों को प्रभावित करेंगे जिनके साथ उनके व्यावसायिक इंटरकोर्स हो सकते हैं। अवसाद एक उद्योग से दूसरे को पास हो जाता है। कुछ फर्मों की असफलता अन्यों के लिए असफलता होती है। जिस तरह आशावाद केचिंग होता है तथा एक उद्योग दूसरों के पुनरुत्थान में सहायता करता तथा प्रेरित करता है, उसी तरह निराशावाद संक्रामक होता है तथा एक उद्योग में निराशा अपरिहार्य स्वयं के नजदीकी व्यावसायिक समीपता में अन्य उद्योगों में निराशा को फैलाता है। श्रृंखला लंबी होती है तथा निराशा गहरी हो जाती है। ऐसा समय आता है जब देश में सभी जिलों में तथा सभी फर्में घिर जाती हैं। बहुत कम लोग सेलाब से बच सकते हैं।

व्यापार चक्रों के महत्त्वपूर्ण लक्षण

(1) एक व्यापार चक्र एक लहर-समान चलन होता है। यह

आर्थिक गतिविधि में विस्तार (या समृद्धता) तथा संकुचन (या अवसाद) के बारी-बारी द्वारा लक्षणित होता है। समृद्धता की एक अवधि के बाद अवसर की एक अवधि आती है तथा इसका विपरीत तभी सत्य है।

(2) चक्रीय उच्चावचन प्रकृति में दोहराव वाले होते हैं। इसका अर्थ है कि वे दोहराव वाले होते हैं। यदि समृद्धता के बाद अवसाद होता है, तब अवसाद के बाद पुन: नवीनीकृत समृद्धता होगी। अतः व्यापार चक्र रिदमिक होते हैं तथा उनकी एक मान्यता प्राप्त पेटर्न होती है।

(3) सभी व्यापार चक्रों को अन्य कॉमन लक्षण विस्तार तथा संकुचन में प्रवाह की संचयी स्व- पुनर्बलनीय प्रकृति होता है। चक्र का हर अपस्विंग या डाउनस्विंग स्व पुनर्बलनीय होता है। यह स्वयं को पोषित

3. करता है तथा समान दिशा में और चलन निर्मित करता है। एक बार प्रारंभ होने पर यह एक ही दिशा में जारी रहता है जब तक दिशा को रिवर्स करने के लिए शक्तियाँ एकत्रित नहीं होतीं।

(4) इसी तरह, एक व्यापार चक्र में स्व-निर्मित शक्तियाँ समाहित होती हैं जो समृद्धता या अवसाद की दशा को खत्म करती हैं। अतः अनिश्चित अवसाद या चिरस्थायी उत्कर्ष अवधि नहीं हो सकती।

(5) व्यापार चक्र उनके प्रभावों में सर्वव्यापी होते हैं। वे अर्थव्यवस्था में लगभग हर खंड को प्रभावित करते हैं। जब अर्थव्यवस्था का एक भाग अवसाद को वहन करता है या समृद्धता का मजा लेता है, तब यह अन्य भागों को संप्रेषित हो जाता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की यंत्रावली द्वारा एक देश में उत्कर्ष या अवसाद अन्य देशों को संप्रेषित हो जाते हैं अत: इसके प्रभाव पूरी दुनिया में महसूस किए जा सकते हैं।

(6) जैसा कीन्स ने बताया है कि एक व्यापार चक्र एक आपदा की उपस्थिति द्वारा लक्षणित होता है अर्थात् चरम तथा गर्त सममित नहीं होते हैं। अर्थात् अपवर्ड से डाउनवर्ड की तरह चलन डाउनवर्ड से अपवर्ड की तरफ परिवर्तन से ज्यादा एकाएक तथा हिंसक होता है।

(7) चक्रीय उच्चावचनों में साधारणतः मूल्य तथा उत्पादन एक साथ बढ़ते या गिरते हैं।

(8) जैसा हेबरलर ने बताया है कि चक्रीय उच्चावचन उपभोक्ता वस्तुओं के उद्योग की तुलना में पूजीगत वस्तुओं के उद्योग में ज्यादा चिन्हित होते हैं।

(9) व्यापार चक्र पुनउभरते हैं लेकिन अवधिगत नहीं होते। कुछ चक्र मामूली होते हैं तथा अन्य सफल होते हैं, कुछ दो, तीन या चार वर्षों तक चलते हैं तथा अन्य आठ या दस वर्षों या ज्यादा तक चलते हैं। कुछ चक्रों में अपस्विंग, डाउनस्विंग से ज्यादा लंबा होता है, अन्यों में

विपरीत स्थिति हो सकती है।

(10) व्यापार चक्र कुल मिलाकर विकास की एक प्रकृति का पालन करते हैं जो उन्हें चक्र के बाद चक्र में समान क्रम में विभिन्न दशाओं से गुजारती है। चक्र की लंबाई बहुत विभिन्न होती है तथा स्विगों का विस्तार बहुत अनियमित होता है। प्रो. सेम्युलसन को उद्धरित करते

हुए कोई दो व्यापार चक्र समान नहीं होते, फिर भी उनमें बहुत कुछ एक सा होता है, वे समान जुड़वा नहीं होते, लेकिन समान परिवार में शामिल के रूप में पहचाने जाने योग्य होते हैं। कोई ऐसा फार्मूला भावी (या पूर्व)

व्यापार चक्र की टाइपिंग का अनुमान लगाने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता जैसा चंद्रमा की गतियों या सरल पेंडुलम पर अनुप्रयुक्त किया जा सकता है। बल्कि उनके रफ अपीयरेंस तथा अनियमितताओं में वे ज्यादा नजदीकी से बीमारी महामारी के उच्चावचनों, मौसम की विविधताओं

या एक बच्चे के तापमान में विचलनों से मिलते हैं।

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