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बाजार की संरचना

विदेशी विनिमय बाजार का निर्माण फॉरेन एक्सचेंज ब्रोकर तथा फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन से होता है। कोई व्यक्ति विदेशी विनिमय बजार में किसी दलाल के द्वारा ही भाग ले सकता है यद्यपि वह Foreign Exchange Dealers Association का सदस्य हो। सामान्यतः विदेशी विनिमय बाजार बड़े वित्तीय केन्द्रों जैसे कि न्यूयार्क, पेरिस, फ्रेंकफर्ट, ज्यूरिक, टोकियो, सिंगापुर, हांगकांग, मुम्बई आदि। विदेशी विनिमय के लिए कोई विशेष भौगोलिक स्थान नहीं है जैसे कि प्रतिभूतियों तथा माल के लिए होता है। इसमें भाग लेने वाले लेनदेन फोन या अन्य संचार के साधन द्वारा तय करते हैं। बाजार का आकार अंतर्राष्ट्रीय लेनदेनों के आकार के द्वारा निर्भर करता है जैसे कि व्यापार का बहाव तथा निवेश के आधार पर। चूँकि विदेशी विनिमय बाजार संपूर्ण विश्व में फैला हुआ है, इसलिए विदेशी विनिमय बाजार विश्व में कभी बंद नहीं होता है। भारत में फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया भारतीय विनिमय बाजार के लिए नियम तय करते हैं। FEDAI विभिन्न प्रकार के भुगतान आदेशों पर विनिमय सीमा, ब्याज दर तय करते हैं।

विदेशी विनिमय बाजार का

अस्तित्व क्यों है

अंतर्राष्ट्रीय भुगतान, जिनका अस्तित्व विनिमय के अभाव में

होता है, प्रत्येक वास्तविक लेनदेन के लिए एक मुद्रा लेनदेन होता है जैसे कि उत्पाद अथवा सेवाओं के प्रत्येक क्रय हेतु मुद्रा के रूप में भुगतान किया जाता है। हम जानते हैं कि विदेशी विनिमय बाजार में दो प्रकार के लेनदेन होते हैं-(a) तत्काल लेनदेन तथा (b) आगे के लेनदेन । विदेशी बाजार में तत्काल लेनदेन व्यापारिक लेनदेन माल अथवा संपत्ति को प्रतिनिधित्व करते हैं। अब यह प्रश्न सामने आता है कि बाद के ठेकों का अस्तित्व क्यों है? इसके दो कारण हैं- 1. स्पेक्यूलेशन, 2. हेडजींग।

स्पेक्यूलेशन- स्पेक्यूलेशन, प्रगतिशील बाजार में मुत्तों के क्रय तथा विक्रय के द्वारा अनुमान लगा लेते हैं कि भविष्य के त्वरित दर, प्रगतिशील दर से भिन्न होंगे। यदि स्पेक्यूलेशन को भविष्य में त्वरित दर, प्रगतिशील दर से अधिक होने की आशा होती है तब वह प्रगतिशील बाजार में खरीद कर लेता है। यदि इसका विपरीत होने की संभावना होती है तो वह मुद्रा को बेच देता है।

हेडजींग-परिभाषा के आधार पर हेडजींग स्वयं को विनिमय दर में होने वाले प्रतिकूल परिवर्तन से बचाना है। हम हेडजींग का अर्थ निम्नलिखित उदाहरण से समझ सकते हैं।

मान लीजिए कि एक भारतीय आयातक ने जर्मनी से एक मशीन का आयात 20,000 DM पर आदेशित किया है। भुगतान सुपुर्दगी के वक्त किया जाना तय हुआ है जो कि 30 दिन बाद होनी है। अतः आयातक का वित्तीय सलाहकार यह अनुमान/अनुभव करता है कि रुपये का मूलय DM की तुलना में हास हो सकता है अतः वह प्रगतिशील दर में 20,000 DM 1 माह के प्रगतिशील दर पर खरीद लेता है। ठेके के अनुसार आयातक पूर्व निर्धारित दर पर माह में रुपये के बदले 20,000 DM प्राप्त करेगा। आयातक की यह गतिविधि बाड़ा लगाना कहलाती है।

सैद्धांतिक रूप से, सभी हेडजिग अनुमान आधारित होते हैं क्योंकि यहाँ यह आशा होती है कि बिना हेडजिंग वाले लेनदेन की तुलना में बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे। उपरोक्त हेडजिंग उदाहरण में वह आयातक का वित्तीय सलाहकार ही है जो कि अनुमान करता है कि रुपये का मूल्य DM की तुलना में कम होगा तथा उसे hedging के लिए

सलाह देता है।

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