प्रधान फर्म कीमत नेतृत्व मॉडल

कीमत नेतृत्व की एक विशिष्ट स्थिति वह है जहाँ उद्योग में एक
बड़ी फर्म प्रधान होती है तथा कई छोटी फर्म पाई जाती हैं। प्रधान फर्म
समस्त उद्योग हेतु कीमत निश्चित कर देती है एवं छोटी फर्मे जितना
चाहें, वस्तु का उतना विक्रय करती हैं तथा बाकी मार्किट को प्रधान फर्म
स्वयं पूरा करती है। अतः प्रधान फर्म ऐसी कीमत चुनेगी जिससे उसको
ज्यादा लाभ हो।

मॉडल

इसकी मान्यताएं : प्रधान फर्म मॉडल निम्न मान्यताओं पर ये मान्यताएं दी होने पर, जब प्रत्येक फर्म प्रधान फर्म द्वारा
निश्चित की गई कीमत पर अपनी वस्तु बेचती है, तो उसका माँग वक्र
उस कीमत पर पूर्ण लोचदार होता है। इस तरह, उसका MR वक्र
समानांतर माँग वक्र के बराबर होता है। फर्म उतना उत्पादन करेगी जिस
पर उसकी सीमांत लागत उसके सीमांत आगम के बराबर होती है। सभी
छोटी फर्मों के MC वक्रों के पार्श्व योग से उनका कुल पूर्ति वक्र स्थापित
होता है। ऐसी सभी फर्में प्रतियोगितात्मक रूप में व्यवहार करती हैं जबकि प्रधान फर्म निष्क्रियता से व्यवहार करती है। वह कीमत निश्चित करती है। तथा छोटी फर्मों को उस कीमत पर जितना भी वे बेचना चाहें अनुमति देती है।

अल्पाधिकारात्मक उद्योग में एक बड़ी प्रधान फर्म एवं कई छोटी
फर्में हैं। प्रधान फर्म मार्किट कीमत निश्चित करती है। अन्य सभी फर्मे शुद्ध प्रतियोगियों की तरह कार्य करती हैं तथा वे निश्चित कीमत को स्वीकार करती हैं। उनके माँग वक्र पूर्ण लोचदार होते हैं। क्योंकि वे प्रधान फर्म की कीमत पर वस्तु बेचती हैं। प्रधान फर्म ही सिर्फ वस्तु के मार्किट माँग वक्र का अनुमान लगाने में समर्थ है। प्रधान फर्म अपने द्वारा निश्चित की गई कीमत पर अन्य फर्मों की पूर्तियों की पूर्व सूचना की सामर्थ्य रखती हैं।

प्रधान फर्म द्वारा कीमत नेतृत्व मॉडल की चित्र द्वारा व्याख्या की
गई है जहाँ DD, मार्किट माँग वक्र है। सभी छोटी फर्मों का कुल पूर्ति
वक्र है। प्रत्येक कीमत पर को DD, से घटाने पर, हमें प्रधान फर्म का
माँग वक्र PNMBD, प्राप्त होता है जिसे चित्र में निर्दिष्ट प्रकार से खींचा
जा सकता है।

मान लीजिए प्रधान फर्म OP कीमत निश्चित करती है। इस कीमत पर वह छोटी फर्मों को PS मात्रा की पूर्ति द्वारा समस्त मार्किट माँग OP पर कुछ भी सप्लाई नहीं करेगी। अतः बिन्दु P इसके का को पूरा करने की अनुमति देती है। लेकिन प्रधान फर्म स्वयं इस कीमत प्रारंभिक बिन्दु है। अब OP से कम कीमत OP, लीजिए। जब छोटी फो का पूर्ति वक्र उनके समानांतर मांग वक्र PR को C बिन्दु पर काटता है.. तो वे PC ( OQ) मात्रा OP, कीमत पर सप्लाई करेंगी। क्योंकि OP कीमत पर कुल माँगी गई मात्रा PR (= OQ) है तथा छोटी फर्म PIC (= OQ) मात्रा सप्लाई करती हैं, तो CR(-) मात्रा प्रधान फर्म द्वारा सप्लाई की जाएगी। समानांतर रेखा PIR पर PIN = CR लेने से, प्रधान फर्म की सप्लाई PIN ( OQ) हो जाती है। इस तरह माँग वक्र DD, से समानांतर दूरी P से N तक घटाने से हम प्रधान फर्म के माँग वक्र पर N बिन्दु व्युत्पन्न करते हैं। छोटी फर्मों OP2 कीमत से नीचे कुछ भी सप्लाई नहीं करेगी, क्योंकि उनका वक्र इस कीमत से ऊंचा है, अतः प्रधान फर्म का माँग वक्र MB रेंज पर समानांतर रेखा P2 B के साथ मिल जाता है तथा फिर BD हिस्से पर मार्किट माँग वक्र के साथ। इस तरह, प्रधान फर्म का माँग वक्र PNMBD है।

प्रधान फर्म को उस उत्पादन पर अधिकतम लाभ की प्राप्ति होगी, जहाँ उसका सीमान्त लागत वक्र MC उसके सीमान्त आगम वक्र MR के बराबर होगा। इससे E संतुलन बिन्दु स्थापित होता है, जहाँ
प्रधान फर्म उत्पादन की OQd मात्रा OP, कीमत पर बेचती है। छोटी फर्मों
इस कीमत पर OQ, उत्पादन को बेचेंगी, क्योंकि बिन्दु पर अर्थात्
छोटी फर्मों का सीमान्त लागत वक्र समानान्तर कीमत रेखा PR के
बराबर होता है। उद्योग का कुल उत्पादन OQ = OQ + OQ होगा। अगर
प्रधान फर्म OP, कीमत निर्धारित करती है, तो छोटी फर्मों P, A तथा
प्रधान फर्म AB विक्रय करेंगी। अगर कीमत OP, से नीचे निश्चित की
जाए, तो प्रधान फर्म समस्त उद्योग की माँग को पूरा करेगी एवं छोटी
फर्मों का विक्रय शून्य होगा। ऊपर का विश्लेषण यह बताता है कि कीमत
उत्पादन हल स्थिर है, क्योंकि छोटी फर्मे कीमत-स्वीकर्ता के रूप में
निष्क्रियता से व्यवहार करती हैं।

प्रधान फर्म के कीमत नेतृत्व का वास्तविक टैस्ट यह है कि अन्य
फर्मे कहाँ तक उसके नेतृत्व का अनुसरण करती हैं। जिस क्षण फमें उसके
नेतृत्व का अनुसरण करना बंद कर देती है, यह मॉडल भंग हो जाता है। इसके अलावा अगर अन्य फर्मों के लागत वन भिन्न हों, तो एक समान कीमत सभी फर्मों के अल्पकालीन लाभों को अधिकतम नहीं कर सकती है।

प्रधान फर्म मॉडल कीमत नेतृत्व के कई रूप हो सकते हैं। छोटी फर्मों में दो या ज्यादा बड़ी फर्मे हो सकती हैं, जो विभिन्न कीमतों पर मार्किट बॉट के लिए कपटसंधि में शामिल हो सकती हैं। वस्तु विभेद हो सकता है। फिर भी जो निष्कर्ष ऊपर प्राप्त हुए हैं, वे ऐसी सब स्थितियों
में कीमत उत्पादन नीतियों की व्याख्या करने में सहायक हैं।

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