पूर्वानुमान के प्रकार 

पूर्वानुमान दो तरह के होते है forecasting

(1) अल्पकालीन पूर्वानुमान सामान्यतः एक वर्ष तक की अवधि वाले पूर्वानुमान अल्पकालीन पूर्वानुमान कहलाते हैं। इसका उपयोग (1) उत्पादन नीति का निर्माण (2) कच्चे माल की पूर्ति को नियमित करने (3) उचित मूल्य नीति के निर्धारण (4) श्रम पूर्ति में निश्चितता (5) अल्पकालीन

वित्तीय आवश्यकताओं का निर्धारण आदि से सम्बन्धित पूर्वानुमानों में किया जाता है।

(2) दीर्घकालीन पूर्वानुमान- एक वर्ष से अधिक अवधि हेतु नियोजन तथा उस नियोजन का पूर्वानुमान दीर्घकालीन पूर्वानुमान कहलाता है। इसका उपयोग (1) उत्पादन क्षमता का नियोजन (2) श्रम शक्ति नियोजन

(3) वित्तीय नियोजन आदि के अध्ययन तथा विश्लेषण में किया जाता है।

पूर्वानुमान का महत्त्व

आधुनिक युग में जहाँ व्यावसायिक क्रियाएं जोखिम एवं

अनिश्चितता के वातावरण सम्पन्न होती है, पूर्वानुमान व्यावसायिक सांख्यिकी का एक जरूरी अंग बन गया है। 

व्यापार चक्रों को नियन्त्रित करने में बहुत उपयोगी है। लेकिन इसका अभिप्राय यह कदापि नहीं है कि व्यावसायिक पूर्वानुमान की उपयोगिता

सिर्फ व्यवसाय के लिए ही है। सत्यता यह है कि व्यावसायिक पूर्वानुमान से समाज के सभी वर्ग लाभान्वित होते हैं।

संक्षेप में व्यावसायिक पूर्वानुमान की निम्न उपयोगिताएं हैं-

(1) भावी नियोजन का आधार भविष्य में उत्पत्ति के साधनों की कितनी जरूरत होगी, इसका पूर्वानुमान किए बगैर एक व्यावसायिक फर्म कोई आर्थिक निर्णय नहीं ले सकती।

(2) व्यापार चक्रों के नियन्त्रण में मददगार-व्यवसाय या वाणिज्य में पूर्वानुमान अति आवश्यक अंग है। व्यवसाय में पग-पग पर विभिन्न गतिविधियों के सम्बन्ध में पूर्वानुमान लगाने पड़ते हैं। यह तो सर्वविदित है कि व्यापारिक चक्रों का प्रभाव हमेशा अहितकर होता है। मूल्य स्तर में

आकस्मिक वृद्धि अथवा गिरावट का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। व्यापारिक चक्र व्यवसाय की जोखिम में वृद्धि करते हैं, बेरोजगारी फैलाते हैं, को प्रोत्साहन देते हैं एवं पूँजी के निर्माण में शिथिलता लाते हैं। व्यावसायिक

पूर्वानुमान व्यापारिक चक्रों से सम्बन्धित तेजी अथवा मन्दी का पूर्वाभास होने पर उनके दुष्परिणामों को कम से कम करने हेतु योजना बनाने में मदद करता है।

(3) उचित मूल्य नीति निर्धारित करने में मददगार-व्यावसायिक पूर्वानुमान से बाजार की भावी दशाओं का अनुमान लगाया जा सकता है, एवं कीमतों के उतार-चढ़ाव को नियन्त्रित करने हेतु व्यावसायिक पूर्वानुमान के आधार पर उचित कीमत नीति निर्धारित की जा सकती है।

(4) उचित विक्रय नीति बनाने में सहायक-व्यावसायिक पूर्वानुमान के आधार पर बाजार में विक्रय को प्रोत्साहन करने वाली नीतियाँ बनायी जा सकती हैं।

(5) समाज के लिए उपयोगी व्यापारिक चक्रों के माध्यम से सिर्फ व्यापारियों को ही हानि नहीं होती बल्कि समाज के सभी वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उद्योग, व्यापार, कृषि, उपभोक्ता, श्रमिक आदि सभी व्यापार चक्रों के दुःखदायी प्रभाव से पीड़ित होते हैं। इसलिए,

व्यावसायिक पूर्वानुमान व्यापार चक्र को नियन्त्रित कर समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुँचाता है।

(6) सरकार हेतु उपयोगी-व्यावसायिक पूर्वानुमान सरकार हेतु भी उपयोगी है। व्यापार जगत में आये उथल पुथल का पूर्वाभास सरकार को पहले ही हो जाता है जिससे सरकार उचित समय पर उचित नीति निर्धारण कर सही निर्णय लेने में सक्षम हो सकती है। व्यावसायिक पूर्वानुमान के

आधार पर सरकार अपनी अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन वित्तीय आवश्यकताओं का पूर्वानुमान कर सकती है।

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