कीमत पृथक्करण का औचित्य

कीमत पृथक्करण के संबंध में यह प्रश्न समीचीन रहता है कि इस
कीमत पृथक्करण को अपनाना आखिरकार कहां तक और कितना औचित्यपूर्ण
है। इस प्रश्न का उत्तर उन परिस्थितियों पर निर्भर करता है जिनके अंतर्गत
इसे अपनाया जाता है और जिस प्रयोजन के लिये इसे लागू किया जाता
है। कुछेक परिस्थितियों में कीमत पृथक्करण को अपनाने का तो औचित्य
बनता है किन्तु कुछ ऐसी भी परिस्थितियाँ होती हैं जिनमें इसके औचित्य का तो प्रश्न ही नहीं उठता। इसी तरह, कुछेक वस्तुओं की कीमत के
लिए यह औचित्यपूर्ण प्रतीत होता है किन्तु अन्य वस्तुओं के लिए इसका
औचित्य कदापि नहीं बनता। किसी निर्दिष्ट बाजार में प्रतिस्पर्धियों को निरूत्साहित करने के
लिए। किसी निर्दिष्ट बाजार में प्रवेश की इच्छुक नई फर्मों को निरूत्साहित करने के लिये। नए बाजार में किसी उत्पाद की शुरूआत अथवा बाजार के विस्तार के लिए।

वे परिस्थितियाँ और वस्तुएं जिनमें कीमत पृथक्करण का औचित्य बनता है-

संयंत्र को कार्यालाप के अधिकतम संभावित स्तर पर संचालित
करने के लिए। अधिकतम विक्रय के जरिए अधिकतम लाभ अर्जित करने के लिए।

ऐसी परिस्थितियां और वस्तुएं निम्नवत् हैं जिनमें कीमत पृथक्करण
को औचित्यपूर्ण माना जा सकता है।

1.यदि कीमत पृथक्करण का उद्देश्य राष्ट्रीय महत्व के किसी उद्योग में उत्पादन करना हो।

2.कीमत पृथक्करण का उद्देश्य यदि राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि करने का हो।

3.कीमत पृथक्करण का उद्देश्य यदि निर्यात को प्रोत्साहित और आयात को निरूत्साहित करने का हो ।

4.कीमत पृथक्करण का उद्देश्य किसी देश की आय और संपदा के वितरण में विसंगतियों को कम करने की दिशा में प्रेरित हो।

5.कीमत पृथक्करण का उद्देश्य यदि रेलवे, डाक और तार तथा विद्युत आदि जैसे सार्वजनिक उद्यमों की सेवाएं प्रदान करने और आर्थिक कल्याण को प्रोत्साहित करने का हो, तब आर्थिक जाता है। कल्याण के प्रोत्साहन के लिए

6.कीमत पृथक्करण को अपनाया कीमत पृथक्करण को यदि भौगोलिक आधार पर अपनाया जाए।

वे परिस्थितियाँ और वस्तुएं जिनमें कीमत पृथक्करण का औचित्य नहीं बनता :

ऐसी परिस्थितियों और वस्तुएं निम्नवत हैं जिनमें कीमत पृथक्करण का औचित्य नहीं बना करता

कीमत पृथक्करण यदि विनिर्माता के

1.एकाधिकार लाभ की ओर
प्रेरित हो।

2.कीमत पृथक्करण का उद्देश्य यदि उपभोक्ताओं के हितों का
शोषण करके अधिकतम लाभार्जन की ओर प्रेरित हो।

3.कीमत पृथक्करण से यदि राष्ट्रीय उत्पादन में कमी होने की सभावना हो।

4.कीमत पृथक्करण से यदि देश में आय और संपदा के वितरण में विसंगतियों की वृद्धि का अंदेशा हो।

5.कीमत पृथक्करण से यदि उपलब्ध स्त्रोतों के अनुचित और अपर्याप्त उपयोग का अंदेशा हो ।

6.कीमत पृथक्करण से बाजार में यदि कीमत युद्ध छिड़ने की आशंका हो।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top