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अल्पतंत्र का अर्थ

अल्पतंत्र के अंग्रेजी पर्याय ‘ऑलिगोपोली’ को लेटिन भाषा के दो शब्दों को मिलाकर गढ़ा गया है, यथा –

1.’ऑलिगोई’ का अर्थ ‘अल्प’ है, और

2.’पोलीन’ का अर्थ ‘विक्रय करने’ से है।

इस तरह ‘ऑलिगोपोली’ का तात्पर्य उस बाजार स्थिति से है जहाँ अन्यों के महत्व के किसी एक के कार्यालापों के लिए किसी निर्दिष्ट उत्पाद (अथवा भिन्नतांप्रद उत्पादों) के अल्प या पर्याप्त विक्रेता हुआ करते हैं।

इस बाजार स्थिति के अंतर्गत किसी समरूपी उत्पाद या उत्पादों जो कि एक-दूसरे के निकटस्थ स्थानापन्न होते हैं – का उत्पादन करनेवाले फर्मों की संख्या अधिक नहीं होती और ये फर्मों परस्पर प्रतियोगिता करती हैं। इस ‘ऑलिगोपोली’ अर्थात् ‘अल्पतंत्र’ को इस प्रकार परिभाषित किया गया है

प्रोफेसर जार्ज जे. स्टिग्टर, “अल्पतंत्र वह बाजार स्थिति है जहां
किसी एक फर्म द्वारा अपने निकटस्थ प्रतिस्पर्धियों के आशान्वित व्यवहार के आधार पर मार्केटिंग नीतियों को निर्धारित किया जाता है।”

प्रोफेसर लेफ्टविक, “अल्पतंत्र वह बाजार स्थिति है, जिसमें
विक्रेताओं की अल्पसंख्या होती है और प्रत्येक विक्रेता के कार्यालाप अन्यों के लिए महत्वपूर्ण हुआ करते हैं।”
उपर्युक्त सूचना के विश्लेषणात्मक अध्ययन से यह कहा जा
सकता है कि अल्पतंत्र वह बाजार स्थिति है जिसमें निकटस्थ रूप से स्थानापन्न किसी समरूपी उत्पाद या उत्पादों को बनाने वाले थोड़े से विक्रेता होते हैं जो एक-दूसरे से प्रतियोगिता करते हैं। इसका अभिप्राय अल्पों के मध्य प्रतियोगिता से है।

अल्पतंत्र की विशिष्टताएं

अल्पतंत्र की महत्वपूर्ण विशिष्टताओं को निम्नवत् रूप से बताया जा रहा है।

  1. विक्रेताओं की छोटी संख्या अल्पतंत्र में विक्रेताओं की
    संख्या काफी छोटी या अल्प हुआ करती है। इसमें किसी उत्पाद के एक से अधिक विक्रेता हुआ करते हैं, किन्तु उनकी संख्या इतनी अधिक नहीं होती
    कि परिपूर्ण प्रतियोगिता या एकाधिकार प्रतियोगिता की स्थिति बन सके।
  2. विक्रेताओं का अन्यान्याश्रय – अल्पतंत्र के अंतर्गत सभी
    विक्रेता एक-दूसरे पर निर्भर अर्थात् अन्यायश्रित हुआ करते हैं। वे स्वमेव
  3. ही अपनी मार्केटिंग और कीमत नीतियों का निर्धारण नहीं कर सकते।
  4. इसमें एक विक्रेता कार्यालापों का अन्यों पर भी प्रभाव पड़ा करता है।
  5. समरूपी उत्पाद अल्पतंत्र के अंतर्गत सभी विक्रेताओं के उत्पाद समरूपी अथवा परस्पर तौर पर निकटस्थ स्थानापन्न हुआ करते
    हैं।
  6. कीमत की एकरूपता – अल्पतंत्र के अंतर्गत सभी विक्रेताओं द्वारा उत्पाद की एकरूप कीमत नीति अपनाई जाती है, क्योंकि उनके उत्पाद में समरूपता हुआ करती है।
  7. कीमत दृढ़ता अल्पतंत्र के अंतर्गत सभी विक्रेताओं के कार्यालाप अन्यान्याश्रित अर्थात् एक-दूसरे पर आश्रित हुआ करते हैं। इस
    कारणवश ये विक्रेतागण अपने उत्पाद की हकीकत को बारम्बार नहीं बदलना चाहते। इस स्थिति का परिणाम यह होता है कि बाजार कीमत में स्थिरता बनी रहती है।
  8. फर्मों का प्रवेश और निर्गम कच्ची सामग्रियों, श्रम आदि की अनुपलब्धता के कारण अल्पतंत्र के अंतर्गत फर्मों का प्रवेश और निर्गम तुलनात्मक रूप से कठिन हुआ करता है।
  9. फर्मों में असंगति अल्पतंत्र के अंतर्गत बाजार में कार्यरत् सभी फर्मों परस्पर सटीक रूप में समरूप नहीं होतीं। कोई फर्म बड़ीं हो सकती है तो अन्य फर्म का स्वरूप छोटा हो सकता है।
  10. मांग वक्र में अनिश्चयता अल्पतंत्र के अंतर्गत मांग वक्र कुछ अधिक अनिश्चित होता है। इस बाजार स्थिति में फर्म द्वारा आसानी से अपने मांग वक्र का पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह पूर्वानुमान कर पाना उनके लिए काफी कठिन होता है कि उसके प्रतियोगीगण अपनी फर्म की नीतियों को परिवर्तित करेंगे अथवा नहीं। ऐसे परिवर्तनों के विस्तार का पूर्वानुमान तो और भी कठिन हुआ करता है। इन कारणों से एकाधिकारी फर्म का मांग वक्र हमेशा अनिश्चित ही बना रहता है।

अल्पतंत्र के प्रकार

अल्पतंत्र को निम्नवत् रूप से वर्गीकृत किया जा सकता है –

(a) परिपूर्ण और अपूर्ण अल्पतंत्र- उत्पाद की प्रकृति के आधार पर एकाधिकार को परिपूर्ण (परिशुद्ध) और अपूर्ण (भिन्नतागत)
एकाधिकार में वर्गीकृत किया जा सकता है। उत्पाद यदि समरूपी हों तो
ऐसे एकाधिकार को परिपूर्ण या परिशुद्ध एकाधिकार कहा जाता है। उत्पादों
में यदि भिन्नता का समावेश हो और वे निकटस्थ स्थापन्न हों तो उसे
अपूर्ण एकाधिकार कहा जाता है।

(b) खुला या बंद अल्पतंत्र- नई फर्मों के प्रवेश की संभावना के आधार पर अल्पतंत्र को खुले या बंद अल्पतंत्र के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। जब नई फर्मों को प्रवेश के लिए स्वतंत्रता हो तो यह खुला एकाधिकार है। बाजार पर जब कुछ फर्मों का प्रभुत्व होता है तब नई
फर्मों के लिए उद्योग में प्रवेश की स्वतंत्रता नहीं होती जिसे कि बद
अल्पतंत्र कहा जाता है।

(c) आंशिक या पूर्ण अल्पतंत्र-
वह होती है जहां कोई एक फर्म द्वारा नेता की भूमिका का निर्वाह किया जाता
है और अन्यों द्वारा अनुसरण किया जाता है। दूसरी ओर, पूर्ण अल्पतंत्र काअस्तित्व वहां हुआ करता है, जहां किसी भी फर्म का कीमत नेता के रूप में प्रभुत्व नहीं होता।

(d) संधिपूर्ण और संधिहीन अल्पतंत्र एक-दूसरे से प्रतियोगिता करने के स्थान पर फर्मों द्वारा एकरूप कीमत नीति का अनुसरण किया जाए तो उसे संधिपूर्ण अल्पतंत्र कहा जाता है। यदि ऐसा सहयोग किसी करार के रूप में हो तो उसे सहयोगी कहा जाता है। यदि यह फर्मों के बीच
की समझबूझ है तो यह गोपनीय संधि है। दूसरी ओर अल्पतंत्री फर्मों के
मध्य यदि कोई करार या समझबूझ न हो तो उसे संधिहीन अल्पतंत्र कहा
जाता है।

(e) समूहबद्ध और संघबद्ध अल्पतंत्र समूहबद्ध अल्पतंत्र वह है जिसमें फर्मों द्वारा अपने उत्पादों का विक्रय एक केन्द्रीयकृत समूह द्वारा किया जाता है। संघबद्ध अल्पतंत्र उस स्थिति को संदर्भित करता है।
जहां फर्मों द्वारा अपने आपको एक केन्द्रीय संघ के रूप में संगठित करके
कीमत, आउटपुट, कोटा आदि का निर्धारण किया जाता है।

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