बाजार का यह भाग बहुत महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि यह विदेशी विनिमय बाजार में हलचल बनाए रखता है। इस बाजार में प्रगतिशील अनुबंध क्रय किये जाते हैं तथा प्रगतिशील विनिमय दरों पर विक्रय किये जाते हैं। हेंडजींग तथा स्पेक्युलेशन दो मुख्य गतिविधियों में है जो प्रगतिशील बाजार के अनुकूल हैं।
प्रगतिशील विनिमय दर- सुपुर्दगी तथा भुगतान के लिए तय
की गई दरों को प्रगतिशील विनिमय दर कहा जाता है तथा इन्हें F(.) से व्यक्त किया जाता है। इसके अतिरिक्त F(.) घरेलू एवं विदेशी मुत्तों के बीच संबंध व्यक्त करता है। प्रगतिशील विनिमय दर का अनुबंध वर्तमान में
विदेशी विनिमय की भविष्य में सुपुर्दगी लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए रुपये तथा डॉलर के बीच 60 दिनों का अग्रशील कर वह दर है जिस पर विदेशी विनिमय सौदागर रुपयों तथा डॉलरों के लेनदेन के लिए 60
दिनों तक लेनदेन का प्रबंध कर सकता है। इस पुस्तक में अग्रशील निविदा को F (Rs./$) के रूप में दर्शाया गया है। दूसरे शब्दों में वह दर जिस पर वर्तमान में, विदेशी मुद्रा के भावी सुपुर्दगी लेनदेन के लिए अनुबंध किए जाते हैं, फारक्ड रेट कहलाता है। वह बाजार जहाँ विदेशी
मुत्तों के विक्रय तथा क्रय के लिए अनुबंध किए जाते हैं, जिसमें भविष्य में सुपुर्दगियाँ तथा प्राप्तियाँ होती हैं, प्रगतिशील बाजार कहलाता है।
फॉरवर्ड एक्सचेंज रेट का निर्धारण विभिन्न मुत्तों की आपूर्तियों के लिए फारवर्ड डिमांड तथा फारवर्ड सप्लाई के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए एक भारतीय सॉफ्टवेयर आयातक जो कि डॉलरों के रूप में भुगतान प्राप्त करने की आशा करता है, भविष्य में होने वाले
विनिमय दर में किसी अवांछनीय परिवर्तन के जोखिम से बचने के लिए डॉलरों के विक्रय के लिए अनुबंध कर सकता है। इस प्रक्रिया में, वह डॉलर के भावी मूल्य की जमानत रुपयों के रूप में लेता है तथा इससे फारवर्ड मार्केट में डॉलरों की आपूर्ति में वृद्धि होती है। किसी विदेशी मुद्रा
को फारवर्ड प्रीमियम की स्थिति में माना जाता है यदि उसका भावी मूल्य घरेलू मुद्रा में उसके वर्तमान मूल्य से अधिक हो जाता है तथा कटौती में कहा जाता है यदि उपरोक्त बिन्दु असत्य है। उदा. के लिए रुपये तथा
डॉलर के बीच spot rate S ( Rs. / S) = Rs. 35.70/$ है तथा 3 माह पश्चात् F, (Rs. / $) – Rs. 36.90/5, ये दरें दर्शाती है कि डॉलर premium स्थिति में है तथा रुपया Discount स्थिति में है।
forward rates की निविदाएं- इन भावों/निविदाओं को बोली तथा माँग के रूप में निविदा किया जाता है तथा प्रसार spread का निर्धारण भी एक तथ्य को जो कि काल विनिमय जोखिम कहलाता है को छोड़कर, इन्हीं तथ्यों पर ही निर्भर करता है। यह जोखिम इसलिए होता है।
क्योंकि मुद्रा की सुपुर्दगी कुछ दिनों बाद (30 दिन, 60 दिन, 90 दिन) बाद होती है। यह कारक (जोखिम) forward market के प्रसार निर्धारण में
अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
यूरोपीय विदेशी विनिमय बाजारों में सक्रिय forward market का अस्तित्व U.S. Dollar ($) में, Japanese Yen(JY) में, British Pound (BP) में तथा Canadian Dollar (Can $) में होता है। वर्तमान में
एक सक्रिय forward market, Deutche Mark (DM). Swiss Franc (SF), French franc (FF). Belgium franc ( BF), Italian
lira(IL), and Dutch Guilder (DG) में भी उपस्थित है। यह बाजार भविष्य में Euro के forward market द्वारा परिवर्तित किया जाएगा क्योंकि सभी देशों ने Euro को सार्वजनिक मुद्रा के रूप में स्वीकार कर लिया है। भारत में सक्रिय प्रगतिशील बाजार डॉलर के रूप में उपस्थित है।