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पूर्वानुमान की अवधारणा

सिम्पसन तथा कापका के अनुसार, “सांख्यिकी में संख्यात्मक तथ्यों को भूतकालीन परिवर्तन के आधार पर भविष्य हेतु काल-श्रेणी को विस्तृत अथवा विक्षेपित करने की प्रक्रिया को पूर्वानुमान कहते हैं।”

एण्डरसन के अनुसार, “पूर्वानुमान भविष्य की परिस्थितियों के अनुमान से अधिक कुछ नहीं है।”

प्रो. नेटर तथा वासरमैन के अनुसार, “व्यावसायिक पूर्वानुमान किसी काल-श्रेणी के भूत एवं वर्तमान घटनाओं की गति के उस संख्यात्मक विश्लेषण को कहते हैं जिसके द्वारा उस श्रेणी के भविष्य की प्रकृति को

जाना जा सके।”

व्हैलडन के अनुसार, ‘विक्रय, उत्पादन, लाभ आदि के निश्चित समकों को अनुमानित करने की प्रक्रिया ही व्यावसायिक पूर्वानुमान नहीं कहलाती है वरन् उसका सही अर्थ आन्तरिक तथा बाह्य समंकों के इस प्रकार के विश्लेषण से है जिससे सर्वोत्तम लाभप्रद विधि से सम्भाव्य भावी परिस्थितियों का सामना करने हेतु नीति निर्धारित की जा सके।”

लुईस तथा फाक्स के अनुसार, “जो ज्ञान एक समय हमारे पास है, उसका प्रयोग करके यह अनुमान लगाना कि भविष्य के किस समय क्या गुजरेगा, पूर्वानुमान होता है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के बाद हम कह सकते हैं।कि भूतकालीन आर्थिक तथा समायोजन करके सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर भविष्य के बारे में अनुमान लगाना ही व्यावसायिक पूर्वानुमान है।

व्यावसायिक पूर्वानुमान की विशेषताएं

व्यावसायिक पूर्वानुमान की विशेषताएं निम्न हैं-

1.व्यावसायिक पूर्वानुमान का संबंध भविष्य की स्थिति से है।

2.पूर्वानुमान को पुराने डाटा तथा स्थितियों को ध्यान में रखकर किया जाता है।

3.पुरानी स्थितियों तथा घटनाओं को वर्तमान स्थितियों के साथ समायोजित किया जाता है।

4.पूर्वानुमान को सांख्यिकी विश्लेषण के आधार पर किया जाता है।

5.पूर्वानुमान करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि भविष्य का शुद्धता से पूर्वानुमान करना असंभव है पूर्वानुमान के लिए त्रुटि की कुछ मात्रा का प्रावधान रखना चाहिए।

व्यावसायिक पूर्वानुमान के उद्देश्य

1भविष्य की घटना के बारे में संभावना का संकेत करना।

2.भविष्य के नीति-निर्माण में सहायता देना।

3.अनिश्चित स्थितियों की दशा में वैकल्पिक निर्णय लेने में

मददगार होना।

4.व्यापारियों, अर्थशास्त्रियों तथा सरकारों को अग्रिम में कार्य के तरीके के संबंध में अनुमान उपलब्ध कराना।

5.भविष्य के अनुमानित डाटा तथा वास्तविक डाटा की प्रायिकता के सिद्धान्त के आधार पर तुलना करना तथा अन्तरों के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण तथा वर्णन उपलब्ध कराना।

व्यावसायिक पूर्वानुमान की सीमाएं

व्यावसायिक पूर्वानुमान की सीमाओं तथा इसके परिणामों का उपयोग करने में जरूरी सावधानी को दिमाग में रखना जरूरी है-

1.क्लेरेन्स जूड के अनुसार, ‘किसी पूर्वानुमान के बारे में सिर्फ जिस चीज के बारे में आप सुनिश्चित हो सकते हो वह यह है कि इसमें कुछ त्रुटि होगी।

2.पूर्वानुमान के अनुमानों को अधिकतम क्या आने वाला है के संकेतकों के रूप में लिया जा सकता है, इससे ज्यादा नहीं। जैसे मौसम पूर्वानुमान के लिए वैध होता है जो सिर्फ अगले छह घंटों के लिए वैध रहती है, अतः उसके पार यह सिर्फ अनुमान कार्य होता है।

3.पूर्वानुमान मौके पर निर्भर होता है तथा मौके पर निर्भरता एक अच्छी चीज नहीं है।

4.सिर्फ सांख्यिकीय तकनीकों पर आधारित पूर्वानुमान नुकसानदायक हो सकते हैं।

5.पूर्वानुमानों पर पूर्ण निर्भरता अच्छी नहीं होती। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि एक पूर्वानुमान कितना भी विश्वसनीय प्रतीत हो, यह संभावना हमेशा रहती है कि यह पूरा न हो।

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